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वीटीआर जंगल सफारी 30 सितंबर तक बंद, जानें बड़ी वजह

नालंदा दर्पण डेस्क। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों और अन्य जंगली जानवरों के प्रजनन काल की शुरुआत और मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए जंगल सफारी पर रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध 1 जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक लागू रहेगा।

इस अवधि के दौरान वाल्मीकिनगर, मंगराहा और गोबर्धना में जंगल सफारी, वाल्मीकिनगर में साइकिल सफारी और गंडक नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण नौकायन जैसी पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह बंद रहेंगी। इसके अलावा बेतिया और पटना से संचालित एक दिवसीय, दो दिवसीय और तीन दिवसीय टूर पैकेज भी इस दौरान स्थगित रहेंगे।

वन संरक्षक-सह-क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणि ने बताया कि राष्ट्रीय व्याघ्र पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मानसून के दौरान इन गतिविधियों पर रोक लगाई गई है।

इस अवधि में जंगल के रास्तों की स्थिति की जांच और मरम्मत का कार्य किया जाएगा। ताकि पर्यटकों के लिए सुरक्षित और बेहतर अनुभव सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने स्पष्ट किया कि 30 सितंबर तक सभी पर्यटन गतिविधियां निलंबित रहेंगी। लेकिन वाल्मीकिनगर, मंगराहा और गोबर्धना में पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधा उपलब्ध रहेगी। साथ ही वाल्मीकिनगर में इको पार्क भी पर्यटकों के लिए खुला रहेगा।

डॉ. नेशामणि ने बताया कि हाल के वर्षों में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में 92264 पर्यटक वीटीआर पहुंचे थे, जो 2023-24 में बढ़कर 322071 हो गए। वहीं 2024-25 में यह संख्या 480680 तक पहुंच गई।

प्रशासन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2025-26 में 29 जून तक ही 57954 पर्यटक इस क्षेत्र का भ्रमण कर चुके हैं। यह बढ़ती संख्या वीटीआर की लोकप्रियता और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति पर्यटकों के आकर्षण को दर्शाती है।

हालांकि, जंगल सफारी और अन्य गतिविधियां बंद रहेंगी। लेकिन पर्यटक वाल्मीकिनगर के इको पार्क का आनंद ले सकते हैं और आवास सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।

प्रशासन ने पर्यटकों से अनुरोध किया है कि वे मानसून के दौरान यात्रा की योजना बनाते समय इन प्रतिबंधों को ध्यान में रखें। यह कदम न केवल जंगली जानवरों के प्रजनन और संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यटकों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा।

बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है और यह अपने समृद्ध जैव-विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है और प्रशासन का यह कदम वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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