अन्य
    Sunday, December 22, 2024
    अन्य

      इस बार कौन जीतेगा नालंदा ? जदयू की भी राह आसान नहीं

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा लोकसभा सीट पर आगामी चुनाव को लेकर प्रशासनिक व राजनीतिक सरगर्मी तेज है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव यहां से जदयू के कौशलेन्द्र कुमार ने जीता था। इस चुनाव में कौशलेन्द्र कुमार को 540,888 मतों की प्राप्ति हुई थी।

      वहीं दूसरे नंबर पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अशोक कुमार आजाद रहे थे, जिन्हें 284,751 वोट मिले थे। राष्ट्रीय हिन्द सेना के राम विलास पासवान 21,276 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

      यदि हम नालंदा सीट के पिछले चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो इस सीट पर कांग्रेस, भाकपा और जनता दल (यूनाइटेड) का दबदबा ही रहा है। कांग्रेस के टिकट पर यहां से पहला चुनाल वर्ष 1952 में कैलाशपति सिन्हा ने लड़ा था और जीते थे।

      इसके बाद कांग्रेस के सिद्धेश्वर प्रसाद ने लगातार तीन चुनाव वर्ष 1962, वर्ष 1967 और वर्ष 1971 का लोकसभा चुनाव जीता। लेकिन कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय लोक दल के बीरेंद्र प्रसाद ने वर्ष 1977 में रोका और सांसदी का चुनाव जीता।

      इसके बाद भाकपा ने वर्ष 1980, वर्ष 1984 और वर्ष 1991 का चुनाव भी लगातार जीते। इन तीनों चुनाव में भाकपा के विजय कुमार यादव बतौर प्रत्याशी चुनाव लड़े थे। वर्ष 1996 और वर्ष 1998 में समता पार्टी के जॉर्ज फर्नांडिस और वर्ष 2004 में जनता दल (यूनाइटेड) के दिग्गज नेता नीतीश कुमार जीते। इसके बाद वर्ष 2009, वर्ष 2014 औऱ वर्ष 2019 में कौशलेंद्र कुमार ने यहां से लगातार तीन चुनाव जीते हैं।

      दरअसल, नालंदा के जातीय समीकरण पर गौर करें तो यहां कुर्मी जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इस सीट पर कुर्मी मतदाता 24 प्रतिशत से ज्यादा हैं। इसके अलावा यादव मतदाता 15 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता लगभग 10 प्रतिशत हैं। वैसे यहां हर चुनाव में सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं।

      करीब 2355 वर्ग किमी फैले नालंदा जिले की आबादी 28,77,653 है। साक्षरता दर 64.43 % है। प्रखंडों की संख्या 20 है। वहीं जिले में 1084 गांव हैं। 5 नगर पालिकाएं  हैं। नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंदर 7 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें नालंदा, अस्थावां, हरनौत, इसलामपुर, राजगीर, बिहारशरीफ और हिलसा शामिल हैं।

      हालांकि, पिछले कुछ चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यहां नीतीश कुमार की पार्टी का ही दबदबा रहा है। लेकिन इस बार की परिस्थितियां उनके लिए आसान नहीं है। उनके राजनीतिक दोस्त और दुश्मन दोनों उनसे अब उबे नजर आते हैं। इस बार का चुनाव उनके लिए काफी मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं रहेगा।

      सांसद ने राजगीर-बख्तियारपुर मेमू स्पेशल के ठहराव का किया शुभारंभ

      बारात देख रही युवती को बदमाश ने कनपटी में मारी गोली, मौत

      लोकसभा चुनाव, होली, रामनवमी को लेकर ये आठ कुख्यात हुए जिला बदर

      हर्ष फायरिंग मौत मामले में नया मोड़, छात्रा को निशाना लगाकर मारी गई गोली

      राजगीर के सभी चौक-चौराहों से CCTV कैमरा गायब, CM ने किया था उद्घाटन

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!