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    Tuesday, March 25, 2025
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      राजगीर संग्रहालय के लिए 3 एकड़ भूमि चिह्नित, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। पर्यटक शहर राजगीर में संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए तीन एकड़ भूखंड को चिन्हित किया गया है। महादेवपुर गांव के समीप हेलीपैड के लिए अधिग्रहित 46 एकड़ जमीन में से तीन एकड़ जमीन संग्रहालय के लिए चयन किया गया है।

      राजगीर में प्रस्तावित यह संग्रहालय न केवल मगध और बिहार की ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखेगा, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा। इससे क्षेत्र का भी विकास होगा। सीओ के अनुसार राजगीर में संग्रहालय निर्माण के लिए सरकारी भूमि चिन्हित कर ली गई है। यह स्थान पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुना गया है। ताकि आने-जाने में कोई कठिनाई का सामना नहीं पड़े।

      संग्रहालय में प्राचीन अवशेष, ऐतिहासिक प्रतिमाएं, दुर्लभ पांडुलिपियाँ और थ्री डी तकनीक से युक्त इंटरैक्टिव डिस्प्ले होंगे। संग्रहालय के निर्माण से राजगीर को एक नया पर्यटन व दर्शनीय स्थल मिलेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। यह संग्रहालय शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। सरकार और पुरातत्व विभाग इस परियोजना को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।

      बता दें कि ऐतिहासिक पर्यटन और धार्मिक स्थलों में प्रमुख राजगीर में संग्रहालय बनने की मांग लंबे अर्से से की जाती रही है। आजादी के 78 साल बाद भी मगध की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर में बिहार सरकार और केंद्र सरकार का एक भी संग्रहालय नहीं है। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों से लेकर पर्यटकों तक में मायूसी है। अब लंबे अर्से बाद संग्रहालय निर्माण के लिए राजगीर के महादेवपुर में जमीन चिन्हित कर ली गई है।

      सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले वित्तीय वर्ष में इस संग्रहालय का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। यह संग्रहालय क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करने का काम करेगा। राजगीर प्राचीन मगध साम्राज्य की राजधानी रही है। यह बौद्ध, जैन, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्मों के लिए प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण स्थल रहा है।

      यहां गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के जीवन से जुड़े राजगीर में अनेकों स्थल हैं। इसके अलावा यह स्थल ऐतिहासिक रूप से मौर्य और गुप्त साम्राज्य से भी जुड़ा रहा है। नया संग्रहालय इन सभी ऐतिहासिक तथ्यों और पुरावशेषों को प्रदर्शित करेगा। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की असीम संभावनाएं हैं।

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