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इस्लामपुर में 19 पैक्स चुनाव में 7 नए चेहरों ने मारी बाजी, मुखिया बनी पैक्स अध्यक्ष

इसलामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर प्रखंड क्षेत्र की 19 पंचायतों में हुए पैक्स चुनाव की वोटों की गिनती सोमवार देर रात तक सुभाष उच्च विद्यालय परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पूरी हुई। चुनाव परिणामों में मतदाताओं ने बदलाव का संकेत देते हुए 7 नए चेहरों पर भरोसा जताया। जबकि 12 मौजूदा अध्यक्ष अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

महत्वपूर्ण जीतें और नए चेहरे: आत्मा पंचायत से धनंजय कुमार ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करते हुए 81 मतों से जीत हासिल की। ढेकवाहा पंचायत में राजेश कुमार ने 544 मतों के बड़े अंतर से दूसरी बार जीत का परचम लहराया।

इचहोस पंचायत में कुमकुम कुमारी ने पहली बार पैक्स अध्यक्ष का पद संभालते हुए 154 मतों से जीत दर्ज की। चंधारी पंचायत से उषा सिन्हा ने तीसरी बार 286 मतों के अंतर से जीतकर अपनी पकड़ को मजबूत किया।

महिला नेतृत्व की ओर बढ़ते कदम: वेश्वक पंचायत में पहली बार मुखिया बनी चंचला देवी ने पैक्स अध्यक्ष का पद भी जीत लिया। उन्होंने 350 मतों के बड़े अंतर से विजय हासिल की। जो क्षेत्र में महिला नेतृत्व की मजबूती का संकेत है। रानीपुर पंचायत से किरण देवी ने 70 मतों से जीत दर्ज की। जबकि वौरीडीह पंचायत से मनीता कुमारी दूसरी बार मात्र 14 मतों के अंतर से निर्वाचित हुईं।

अनुभव और नए जोश का मेल: पचलोवा पंचायत से पहली बार उमेश सिंह ने 124 मतों से जीत दर्ज की। वहीं मोहनचक पंचायत से पप्पू कुमार सिन्हा ने लगातार तीसरी बार 364 मतों से अपनी जीत का परचम लहराया।

प्रमाण पत्र वितरण: वीडियो सह निर्वाची पदाधिकारी मुकेश कुमार ने बताया कि सभी निर्वाचित पैक्स अध्यक्षों और सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण माहौल में चुनाव प्रक्रिया का समापन होना क्षेत्र के लोकतांत्रिक मूल्यों की विजय है।

स्थानीय स्तर पर बढ़ा उत्साह: चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद समर्थकों ने विजेताओं का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया। कई स्थानों पर मिठाइयां बांटी गईं और विजय जुलूस निकाला गया।

आगे की योजना: नवनिर्वाचित अध्यक्षों ने क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के हितों को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है। उन्होंने वादा किया कि पैक्स के माध्यम से क्षेत्र में कृषि और अन्य विकास कार्यों को गति दी जाएगी।

इस चुनाव में जहां परंपरा और अनुभव ने अपनी जगह बनाई। वहीं नई सोच और नए चेहरों को भी जनता ने स्वीकार किया। इससे यह स्पष्ट है कि ग्रामीण राजनीति में भी बदलाव और नवाचार की मांग जोर पकड़ रही है।

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