
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नूरसराय प्रखंड के दाउदपुर प्राइमरी स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह स्कूल केवल एक कमरे का है। इस एकमात्र कमरे में सभी कक्षाओं (पहली से पांचवीं) की पढ़ाई होती है, जिसके कारण बच्चों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
यह विद्यालय भवन 1976 में बनाया गया था। करीब 48 साल बीत जाने के बावजूद न तो भवन का विस्तार हुआ और न ही इसे अपग्रेड किया गया। कमरे के अंदर तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं। जबकि पहली और दूसरी कक्षा के छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते हैं।
बरामदे में ही मिड डे मील योजना के तहत खाना बनाने का सामान, जलावन और अन्य उपकरण रखे जाते हैं। जिससे पहले से ही सीमित जगह और सिकुड़ जाती है।
कमरे में पढ़ाई का माहौल भी चुनौतीपूर्ण है। एक कोने में शिक्षक अंग्रेजी पढ़ाते हैं तो दूसरे कोने में हिंदी की पढ़ाई होती है। बच्चों को एक साथ दोनों विषयों की आवाजें सुनाई पड़ती हैं, जिससे उनकी एकाग्रता भंग होती है।
पहले इस विद्यालय में 135 बच्चों का नामांकन था, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण कई बच्चों ने स्कूल आना बंद कर दिया। अब केवल 96 बच्चे ही पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों की देखरेख के लिए 6 शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
बहरहाल, दाउदपुर प्राथमिक विद्यालय की स्थिति न केवल बच्चों के भविष्य के लिए चिंताजनक है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। स्थानीय निवासियों और अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल भवन का विस्तार किया जाए और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।