Sunday, March 30, 2025
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बिना दाखिल-खारिज जमाबंदी कायम करने के खेल को लेकर विभाग हुआ सख्त

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले सहित पूरे बिहार में जमीन से जुड़े एक बड़े घोटाले की शिकायतें सामने आ रही हैं। आरोप है कि दाखिल-खारिज की अनिवार्य प्रक्रिया को दरकिनार कर रजिस्टर-2 में जमाबंदी कायम की जा रही है। इतना ही नहीं, इसे ऑनलाइन प्रक्रिया से छूटा हुआ बताकर दोबारा ऑनलाइन भी किया जा रहा है। इस गंभीर अनियमितता को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सख्त रुख अपनाया है और अंचल अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। विभाग ने दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश जारी किया है।

सूत्रों के मुताबिक दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर रजिस्टर-2 में जमाबंदी दर्ज करने की शिकायतें लंबे समय से विभाग के पास पहुंच रही थीं। हालात इतने बदतर हैं कि कई जगहों से रजिस्टर-2 के पन्ने फाड़े जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इससे प्रभावित रैयत (जमीन मालिक) अपनी जमीन के कागजात हासिल करने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियां कुछ साल पहले भी उजागर हुई थीं। जिसके बाद ऐसी जमाबंदियों को लॉक कर जांच के आदेश दिए गए थे। उस वक्त यह जिम्मेदारी भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को दी गई थी। लेकिन पिछले दो वर्षों में इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी।

अब विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए नई रणनीति अपनाई है। हर ऐसी जमाबंदी की जांच कर उसे अनलॉक करने का जिम्मा अंचल अधिकारियों को सौंपा गया है। साथ ही हर 15 दिन में अंचल स्तर पर समीक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी और भूमि सुधार उप समाहर्ता में से कम से कम एक अधिकारी को जिम्मेदार बनाया गया है। इसके अलावा जिलाधिकारियों और प्रमंडलीय आयुक्तों को भी नियमित मॉनिटरिंग और समीक्षा का निर्देश दिया गया है।

यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि आम लोगों के लिए जमीन के मालिकाना हक को सुरक्षित रखने में आ रही परेशानियों को भी सामने लाता है। प्रभावित रैयतों का कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं के कारण उनकी जमीन के दस्तावेज हासिल करना मुश्किल हो गया है। जिससे उनका जीवन प्रभावित हो रहा है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का कहना है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अब देखना यह है कि अंचल अधिकारी इस जिम्मेदारी को कितनी गंभीरता से निभाते हैं और प्रभावित लोगों को कितनी जल्दी राहत मिल पाती है। इस घटनाक्रम पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला बिहार में भूमि सुधार व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है। जिसे दुरुस्त करने की सख्त जरूरत है।

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