नालंदा दर्पण/चुनाव डेस्क। नालंदा की राजनीति में पिछले 43 सालों से अपराजेय योद्धा बने हरनौत के निवर्तमान विधायक हरिनारायण सिंह पर एक बार फिर से नीतीश कृपा की बारिश हुई है।
सारे राजनीतिक अटकलों को झूठलाते हुए एक बार फिर से हरनौत विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरेगे हरिनारायण सिंह।
हरनौत विधानसभा सीट सीएम नीतीश कुमार के लिये प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ रहता है। इस बार सभी आंकलन कर रहे थे।
सीएम नीतीश कुमार हरिनारायण सिंह का पता साफ कर देगें। किसी नये चेहरे को टिकट मिलेगा।
इसलिए हरनौत विधानसभा से मुखिया से लेकर छुटभैय्ये नेता तक टिकट के लिए सीएम हाउस में मंडराने लगे थे।
निवर्तमान विधायक की राह में कई लोग रोड़ा बने हुए थे। लेकिन फिर से वे राजनीति के ‘निष्कंटक सिरमौर’बने।
राजनीति में दिखावे से दूर रहने वाले निवर्तमान विधायक की यही छवि टिकट के लिए वरदान साबित हुई है।
सीएम नीतीश कुमार ने आखिरी बार उनकी उम्र की परवाह न करते हुए भी जो भरोसा जताया है,यह उनके राजनीतिक जीवन का सम्मान दर्शाता है। उनकी राजनीतिक में सम्मानजनक विदाई इससे बेहतर नहीं हो सकती है।
नालंदा की राजनीति के दो पुराने क्षत्रपों में एक हरिनारायण सिंह ने हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को भी पीछे छोड़ दिया है।
दोनों ने वर्ष 1977 में पहली जीत हासिल की। एक चंडी विधानसभा से दूसरे ने राजगीर(सु) से।
सत्यदेव नारायण आर्य भी आठ बार विधायक और मंत्री रहे। वहीं हरिनारायण सिंह 6 बार चंडी विधानसभा से तो दो बार हरनौत विधानसभा क्षेत्र से।
वे दो बार मंत्री भी रहे। हरनौत से तीसरी बार चुनाव मैदान में होगें।
सत्यदेव नारायण आर्य 2015 में महागठबंधन से चुनाव हार गये थे। उसके बाद भाजपा आलाकमान ने उन्हें हरियाणा का राज्यपाल बनाकर भेजा।
हरिनारायण सिंह अपने राजनीतिक जीवन के नौंवी जीत के लिए मैदान में दमखम के साथ उतरने की तैयारी में जुट गये है।
9 अक्तूबर को उन्होंने मगध महाविद्यालय के सभागार भवन में एनडीए कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है।