अन्य
    Monday, October 7, 2024
    अन्य

      ऊंट के मुंह में जीराः 50 हजार रुपए में सरकारी स्कूलों का होगा कायाकल्प

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सरकारी स्कूलों की जल्द ही कायाकल्प होने वाली है। लेकिन मात्र 50 हजार रुपए स्कूलों के कायाकल्प को लेकर ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है। स्कूल प्रभारी से लेकर विभागीय अधिकारी तक ऐसे आदेश और जारी निर्देश से अचंभित हैं कि वे इतने कम राशि में उत्पन्न अनगिनत समस्याएं कैसे सुलझ पाएंगे।

      जैसे कि- स्कूल का बल्ब, पंखा, ट्यूब लाईट आदि की मरम्मति। शौचालय एवं नल की मरम्मति। सबमर्सिबल एवं पाइप, ओवरहेड टैंक की मरम्मति। खिड़की, किवाड़ एवं इसके सभी प्रकार की मरम्मति। समय-समय पर ब्लैक बोर्ड की रंगाई एवं मरम्मति। बैंच-डेस्क, टेबूल, आलमारी आदि की मरम्मति एवं पेंटिंग। किचेन सामग्री (गैस चूल्हा आदि) की मरम्मति। प्रयोगशाला सामग्री की मरम्मति। क्रय किये गये कम्प्यूटर (जिसका एएमसी नहीं हो) की मरम्मति। स्कूल के छत की सभी प्रकार की मरम्मति। परिसर में टूटे हुए फर्श की करायी जायेगी मरम्मत। स्कूल के जल जमाव की निकासी संबंधित कार्य।

      खबर हैं कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के निर्देश के बाद सभी सरकारी स्कूलों के बैंक खातों में 50 हजार रुपए की राशि भेजी जाएगी। इस राशि को स्कूल के प्रधानाध्यापक के द्वारा स्कूल के विभिन्न मरम्मती संबंधी कार्यों में खर्च किया जाएंगे। स्कूल के द्वारा जितनी राशि खर्च की जाएंगे, उसका मूल विपत्र जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास जमा करने के बाद उस स्कूल को फिर उतनी ही राशि उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इस प्रकार से विभाग के द्वारा यह व्यवस्था की गई है की हर स्कूल के पास उसके सरकारी बैंक खाते में हमेशा 50 हजार रुपए की राशि जमा रहेंगे।

      स्कूल प्रबंधन को यह निर्देश दिया गया है कि वे इस राशि का उपयोग प्राथमिकता के आधार पर करें। इसे देखते हुए यह जानना आवश्यक है कि 50 हजार रुपए केवल कुछ सीमित क्षेत्रों के सुधार के लिए ही पर्याप्त होंगी। इस राशि में स्कूलों की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न कार्यों को करने में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

      किसी स्कूल में शौचालय का निर्माण और साफ-सफाई की जरूरत है तो वहीं किसी अन्य स्कूल में कक्षाओं के लिए बेंचों की आवश्यकता हो सकती है। स्कूल प्रबंधन और विभागीय अधिकारियों को इस स्थिति का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें तय करना होगा कि किन कार्यों को प्राथमिकता देना है। पैसे की कमी के कारण कार्यों की उचित योजना और कार्यान्वयन एक महत्वपूर्ण चैलेंज बन जाता है। इसके आलावा यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर सभी स्कूलों को समान राशि दी जाए तो कई स्कूलों की बुनियादी मांगें पूरे नहीं हो पाएंगे।

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!
      विश्व को मित्रता का संदेश देता वैशाली का यह विश्व शांति स्तूप राजगीर सोन भंडारः जहां छुपा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना यानि सोना का पहाड़ राजगीर वेणुवन की झुरमुट में मुस्कुराते भगवान बुद्ध राजगीर बिंबिसार जेल, जहां से रखी गई मगध पाटलिपुत्र की नींव