यहां बनेगा 40 टन क्षमता वाला मॉडर्न कोल्ड स्टोरेज, 3 माह तक ताजा रहेगी मछली
पहले यह योजना पटना जिले के लिए बनाई गई थी। लेकिन वहां सफलता नहीं मिलने पर इसे नालंदा में लागू किया गया। जिले में योजना को लेकर लोगों में काफी उत्साह है और आवेदन भी मिलने शुरू हो गए हैं...

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के मत्स्य पालकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने जिले में एक 40 टन क्षमता वाले मॉडर्न कोल्ड स्टोरेज के निर्माण की योजना को मंजूरी दी है। इस कोल्ड स्टोरेज में मछलियों को तीन महीने तक सुरक्षित और ताजा रखा जा सकेगा। इससे न सिर्फ मछली पालकों को उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि बाजार की मांग के अनुसार बिक्री की रणनीति भी तैयार की जा सकेगी।
इस योजना का उद्देश्य जिले में मछली उत्पादन को प्रोत्साहित करना और मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना है। वर्तमान में जिले में मछलियों के दीर्घकालिक भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे तालाब से मछली निकालने के बाद किसानों को बाजार के अनुसार कम कीमत पर ही मछली बेचनी पड़ती है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी (डीएफओ) शंभू कुमार ने बताया कि कोल्ड स्टोरेज बनने के बाद संचालक तय शुल्क पर मछली का स्टॉक कर सकेंगे। बाजार में कीमतें घटने पर भी किसान जल्दबाजी में मछली नहीं बेचेंगे। जिससे उन्हें उचित लाभ मिलेगा। साथ ही लोकल मंडी की बढ़ती मांग को भी इससे पूरा किया जा सकेगा।
विशेष योजना अनुसूचित जाति के लिए: इस योजना का लाभ विशेष रूप से अनुसूचित जाति के मत्स्य पालकों को मिलेगा। उन्हें 80 लाख रुपये लागत वाली यूनिट पर फीसदी यानी 48 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह प्रयास अनुसूचित जाति के लोगों के आर्थिक विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
सामान्य वर्ग के लिए भी योजना: सिर्फ अनुसूचित जाति ही नहीं, सामान्य वर्ग के मछली पालकों के लिए भी सरकार ने रेफ्रिजरेटर वाहन योजना शुरू की है। एक यूनिट पर 25 लाख रुपये की लागत होगी, जिस पर 40 फीसदी यानी 10 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। इच्छुक लाभुक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
भविष्य में होंगे और भी लाभ: यह कोल्ड स्टोरेज करीब 2000 वर्गफीट जमीन पर बनेगा। जिसमें कोल्ड रूम, प्रोसेसिंग हाउस, रेफ्रिजरेटर यूनिट सहित कई आधुनिक सुविधाएं होंगी। इसमें मछली के अलावा फल और सब्जियां भी सुरक्षित रखी जा सकेंगी।
गौरतलब है कि पहले यह योजना पटना जिले के लिए बनाई गई थी। लेकिन वहां सफलता नहीं मिलने पर इसे नालंदा में लागू किया गया। जिले में योजना को लेकर लोगों में काफी उत्साह है और आवेदन भी मिलने शुरू हो गए हैं।









