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डिफॉल्टर घोषित 39 सहकारी समितियों के पैक्स अध्यक्ष के चुनाव लड़ने पर रोक

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Ban on contesting elections for PACS presidents of 39 cooperative societies declared defaulters
Ban on contesting elections for PACS presidents of 39 cooperative societies declared defaulters

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में धान खरीद हेतु नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से प्राप्त कैश क्रेडिट की राशि न लौटाने के कारण 39 सहकारी समितियों (पैक्स) को डिफॉल्टर घोषित किया गया है। इन डिफॉल्टर पैक्स अध्यक्षों पर लाखों रुपये का बकाया है। जिसे वे वर्षों से सहकारी बैंक में वापस नहीं कर रहे हैं। हर साल बढ़ती डिफॉल्टर की संख्या सहकारी विभाग के लिए गंभीर चुनौती बन गई है और इस बार ऐसे पैक्स अध्यक्षों को आगामी चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित कर दिया गया है।

जिले में शुरुआत में कुल 249 पैक्स थे, जिनकी संख्या अब घटकर 230 रह गई है। नगर निकाय में विलय के कारण कुछ पैक्स को हटा दिया गया है। जबकि डिफॉल्टरों की सूची में बिहारशरीफ, हिलसा और अस्थावां प्रखंडों के सर्वाधिक पैक्स शामिल हैं। इनमें कई पैक्स अध्यक्ष लंबे समय से बैंक की राशि दबाकर बैठे हुए हैं। हर साल दो-तीन नए पैक्स भी डिफॉल्टर की श्रेणी में जुड़ते जा रहे हैं, जो सहकारी प्रणाली के लिए बड़ी चुनौती है।

प्रमुख डिफॉल्टर पैक्स की सूचीः बिहारशरीफ प्रखंड के परोहा, पावा, सकरौल, तियुरी, महमदपुर, और नकटपुरा पैक्स सहित हिलसा प्रखंड के कपासियावा, योगीपुर, मिर्जापुर, कामता, पुना, और इंदौत पैक्स के नाम डिफॉल्टर सूची में हैं।

इसी प्रकार गिरियक प्रखंड के आदमपुर, कतरीसराय के कटौना, बेन के आंट, सिलाव के बराकर और धरहरा, एकंगरसराय के एकंगरडीह और कोशियावा तथा करायपरशुराय प्रखंड के गोंदू विगहा प्रमुख डिफॉल्टर पैक्स में शामिल हैं। बिंद, चंडी, इस्लामपुर, नूरसराय और रहुई प्रखंडों के कई पैक्स भी इस सूची का हिस्सा बने हैं।

वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने का कदमः इन पैक्स अध्यक्षों को बैंक की बकाया राशि जमा करने तक चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित रखा जाएगा। सहकारी विभाग का यह कड़ा रुख सहकारी बैंक के वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित करने और जिम्मेदारी निभाने वाले पैक्स को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। विभाग के अनुसार सहकारी बैंक के धन की वसूली सुनिश्चित करना अब प्राथमिकता बन गई है।

चुनाव प्रक्रिया पर प्रभाव और संदेशः डिफॉल्टर पैक्स की इस लंबी सूची का असर न केवल नालंदा जिले के पैक्स चुनाव पर पड़ेगा, बल्कि यह अन्य सहकारी समितियों के लिए भी एक सख्त संदेश है। सहकारी बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद भी समय पर राशि जमा नहीं करना सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।

आगामी चुनाव से वंचित होना इन डिफॉल्टर पैक्स अध्यक्षों के लिए चेतावनी है कि यदि वे बैंक की राशि का शीघ्र भुगतान नहीं करेंगे तो उनके लिए भविष्य में सहकारी क्षेत्र में आगे बढ़ना मुश्किल होगा।

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