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बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों की परीक्षा प्रणाली में किया बड़ा बदलाव

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Bihar Education Department made a big change in the examination system of government schools
Bihar Education Department made a big change in the examination system of government schools

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों की परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए जनवरी 2025 से मासिक परीक्षाओं को समाप्त करने का फैसला किया है। इसकी जगह अब प्रत्येक सोमवार को साप्ताहिक टेस्ट लिया जाएगा। विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए नए नियमों की जानकारी दी है।

त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं जारी रहेंगीः शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार मासिक परीक्षाओं की जगह अब त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। कक्षा 1 से 8 तक की परीक्षाओं का आयोजन राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र (SCERT) करेगा। जबकि कक्षा 9 से 12 तक की परीक्षाएं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) के अंतर्गत होंगी।

साप्ताहिक टेस्ट से होगी प्रगति की निगरानीः साप्ताहिक टेस्ट के माध्यम से छात्रों की प्रगति पर नियमित रूप से नजर रखी जाएगी। यह टेस्ट हर सोमवार को लिया जाएगा और यदि किसी कारणवश सोमवार को छुट्टी रहती है तो अगले कार्य दिवस पर परीक्षा आयोजित की जाएगी। यह टेस्ट इंटरनल असेसमेंट का हिस्सा होगा और इसके परिणाम छात्रों और अभिभावकों के साथ साझा किए जाएंगे।

सेंटअप परीक्षा में कोई बदलाव नहीः कक्षा 9 से 12 तक की सेंटअप परीक्षाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। यह परीक्षाएं पूर्व निर्धारित स्वरूप और समयानुसार ही आयोजित की जाएंगी।

शिक्षकों और छात्रों के लिए नई चुनौतीः इस नई प्रणाली को लागू करना शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए एक नई चुनौती होगी। साप्ताहिक टेस्ट से शिक्षकों पर मूल्यांकन का अतिरिक्त भार बढ़ सकता है। जबकि छात्रों को हर सप्ताह तैयारी करनी होगी।

शिक्षा गुणवत्ता सुधार की पहलः बिहार सरकार का मानना है कि इस नई प्रणाली से छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा और उनके प्रदर्शन का सटीक मूल्यांकन किया जा सकेगा। साप्ताहिक टेस्ट के जरिए नियमित अध्ययन की आदत विकसित करने में भी मदद मिलेगी।

यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इसका वास्तविक प्रभाव छात्रों और शिक्षकों पर कैसे पड़ता है, यह समय के साथ स्पष्ट होगा।

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