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    Tuesday, March 25, 2025
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      बेंच-डेस्क घोटाला: फर्जी बिल के जरिए करोड़ों की निकासी, एजेंसी पर FIR दर्ज

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में शिक्षा विभाग से जुड़े बेंच-डेस्क घोटाला का बड़ा खुलासा हुआ है। जिलाधिकारी (डीएम) शशांक शुभंकर की सख्ती के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) ने फर्जी विपत्र के आधार पर भुगतान कराने वाली एजेंसी पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस मामले में डीएम ने तीन दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

      मामला नालंदा जिले के मध्य विद्यालय देकपुरा रहुई का है। यहां बिना किसी आपूर्ति के ही 117 बेंच-डेस्क के नाम पर 5.83 लाख रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया। इस गड़बड़ी का पर्दाफाश जिला निगरानी जांच समिति ने किया, जिसने स्पष्ट रूप से रिपोर्ट दी कि संबंधित एजेंसी लता इंटरप्राइजेज ने अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बिल के आधार पर भुगतान लिया था।

      जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने डीईओ को आदेश दिया कि संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) और लिपिक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए। साथ ही एजेंसी पर एफआईआर दर्ज कराई जाए।

      बताया जाता है कि यह घोटाला सिर्फ एक विद्यालय तक सीमित नहीं है। अस्थावां, सिलाव, गिरियक, हरनौत सहित कई प्रखंडों में सैकड़ों विद्यालयों में बेंच-डेस्क की आपूर्ति कागजों पर ही दिखा दी गई। अस्थावां में अभी भी 22 विद्यालयों में बेंच-डेस्क नहीं पहुंचे। जबकि 38 से अधिक विद्यालयों में अतिरिक्त बेंच-डेस्क की जरूरत है।

      मामले को रफा-दफा करने की पूरी कोशिश की गई। डीएम ने 7 मार्च को कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन संबंधित अधिकारी 10 मार्च तक फाइल दबाकर बैठे रहे। जब मामला तूल पकड़ने लगा, तब जाकर एफआईआर दर्ज की गई।

      इससे पहले भी तत्कालीन डीपीओ स्थापना पर बेंच-डेस्क की आपूर्ति के एवज में अवैध राशि मांगने का आरोप लग चुका है। विभागीय जांच पहले से चल रही है। लेकिन अब फर्जी बिल भुगतान में भी उनकी संलिप्तता उजागर होने के बाद स्पष्टीकरण मांगा गया है।

      अभी भी कुछ विद्यालयों में बेंच-डेस्क की आपूर्ति जारी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना विभागीय स्वीकृति के यह आपूर्ति कैसे हो रही? क्या अब भी घोटालेबाजों को संरक्षण दिया जा रहा है?

      शिक्षा विभाग के इस बड़े घोटाले में शामिल एजेंसी के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितता के आरोप में कड़ी कार्रवाई की संभावना है। अगर मामले को दबाने की कोशिश की गई तो यह घोटाला और बड़े स्तर पर उजागर हो सकता है। फिलहाल निगरानी जांच समिति इस पर पूरी नजर बनाए हुए है।

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