शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा: 2 भाईयों ने लगाया 20 साल तक चूना, 9 माह बाद हुआ निलंबन

शिक्षा विभाग में इस फर्जीवाड़ा ने एक बार फिर से व्याप्त गड़बड़ियों को उजागर किया है। देखना है कि विभाग किस तरह से आगे की कार्रवाई करता है और दोषियों को कब तक न्याय के दायरे में लाता है…

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों की कड़ी में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस फर्जीवाड़े में दो सहोदर भाईयों ने फर्जी जन्मतिथि के आधार पर करीब 20 साल से शिक्षक बनकर सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया। इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने के बाद भी विभागीय कार्रवाई में 9 माह का समय लग गया, जिसने विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह मामला तब सामने आया जब नूरसराय प्रखंड के परासी गांव के निवासी झुनझुन कुमार सहित अन्य लोगों ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि रितेश कुमार और क्रांति कुमार नामक दो सहोदर भाईयों ने फर्जी जन्मतिथि के आधार पर करीब दो दशकों से शिक्षक के पद पर नौकरी कर लाखों का वेतन प्राप्त किया।

डीएम के निर्देश पर वरीय प्रभारी पदाधिकारी और डीटीओ द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि रितेश कुमार की जन्मतिथि 01.03.1983 और क्रांति कुमार की 12.06.1983 दर्ज है। दोनों भाईयों के जन्मतिथि में केवल तीन महीने 11 दिनों का अंतर होने से मामले की सत्यता पर सवाल उठे। इसके बावजूद शिकायत और जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की अनुशंसा के बाद भी विभाग ने 9 महीनों तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

आखिरकार प्रखंड नियोजन इकाई के सदस्य सचिव सह बीडीओ नूरसराय ने दोनों भाईयों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन के दौरान दोनों को 50 प्रतिशत वेतन के रूप में जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। इसके अलावा मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई की बैठक में दोनों को चयन मुक्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

यह भी आरोप है कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस फर्जीवाड़े को इतने लंबे समय तक दबा दिया गया। जांच रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई में देरी इस बात की ओर इशारा करती है कि विभाग में भ्रष्टाचार गहरी जड़ें जमाए हुए है।

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