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    Monday, March 17, 2025
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      बिहार जूनियर इंजीनियर बहाली: फर्जी दस्तावेज पर बहाल हुए 8 अभ्यर्थी, FIR दर्ज

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार जूनियर इंजीनियर बहाली के दौरान बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बिहार तकनीकी सेवा आयोग (BTSC) के माध्यम से 2019 में जारी विज्ञापन के तहत हो रही जूनियर इंजीनियरों की बहाली में दस्तावेज सत्यापन के दौरान आठ अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। इन अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आयोग द्वारा FIR दर्ज कराई गई है।

      29 और 30 नवंबर को आयोग कार्यालय में अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन हो रहा था। जिसमें पहले ही दिन कुछ गंभीर अनियमितताएँ पाई गईं। आयोग के उप सचिव ने सचिवालय थाना में इन फर्जी दस्तावेजों को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई। दस्तावेजों की जांच के दौरान कई अभ्यर्थियों ने खुद ही यह स्वीकार कर लिया कि उनके प्रमाण पत्र फर्जी थे। जिसके बाद उन्होंने आवेदन वापस ले लिया और उन्हें जाने दिया गया।

      फर्जी दस्तावेजों से जुड़े मामले:

      1. नीतीश कुमार सिंह (पचरूखी, सीवान): एक ही सत्र में डिप्लोमा और बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री दिखाने का आरोप।
      2. मणिकांत कुमार (अमरपुर, लखीसराय): प्रमाण पत्र जिस संस्थान से जारी किया गया था, वह संस्थान अस्तित्व में ही नहीं है।
      3. मो. फैजूद्दीन (खुदाबंदपुर, बेगूसराय): चार अलग-अलग विज्ञापनों में आवेदन किया, लेकिन सभी में अलग-अलग प्रमाण पत्र।
      4. राजेश कुमार (बेगूसराय): फर्जी प्रमाण पत्र पेश करने का आरोप।
      5. मोनिका कुमारी (परसा बाजार, पटना): मानव भारती विश्वविद्यालय से मिले प्रमाण पत्र को फर्जी बताया गया।
      6. प्रियंका कुमारी (झखराही, सुपौल): ओपीजीएस विश्वविद्यालय का नकली प्रमाण पत्र प्रिंट कर आवेदन किया गया।
      7. दिलीप कुमार चौधरी (मथुरापुर, समस्तीपुर): स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय का फर्जी प्रमाण पत्र पेश किया।
      8. मनीष कुमार (पंडोल, मधुबनी): प्रमाण पत्र जिस संस्थान से जारी हुआ, वह अस्तित्व में ही नहीं है।

      आयोग के संयुक्त सचिव के अनुसार जिन अभ्यर्थियों ने खुद अपने फर्जी प्रमाण पत्र की बात मानी, उन्हें आवेदन वापस लेने के बाद जाने की अनुमति दी गई। बाकी मामलों में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

      सतर्कता और सख्त कदमों की आवश्यकता: इस घटना ने बिहार में बहाली प्रक्रिया के दौरान दस्तावेजों की सत्यता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला यह दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रियाओं में फर्जीवाड़ा कैसे एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि आगे की नियुक्तियों में दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया को और भी कड़ा किया जाएगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

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