
नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार में आधारभूत संरचना के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा जाने वाला है। राज्य को जल्द ही उसकी पहली सड़क सुरंग मिलने जा रही है, जो वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के तहत कैमूर जिले में प्रस्तावित है। यह 5 किलोमीटर लंबी सुरंग न केवल बिहार के यातायात को सुगम और सुरक्षित बनाएगी, बल्कि राज्य को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक नई पहचान भी दिलाएगी।
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे, जो 690 किलोमीटर लंबा है, देश के प्रमुख पूर्व-पश्चिम सड़क संपर्क मार्गों में से एक है। इस एक्सप्रेसवे का लगभग 160 किलोमीटर हिस्सा बिहार के चार जिलों- कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया से होकर गुजरेगा।
कैमूर जिले में बनने वाली यह सुरंग पहाड़ी इलाकों को पार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह यात्रा के समय को कम करेगी और सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने में सहायक होगी।
इस सुरंग का निर्माण पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग करके किया जाएगा। परियोजना में उन्नत मशीनों और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया है।
सुरंग का डिज़ाइन इस प्रकार तैयार किया गया है कि यह प्राकृतिक पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचाए। इसके अतिरिक्त निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय भूगर्भीय संरचना का विशेष ध्यान रखा जाएगा ताकि क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और स्थिरता बनी रहे।
यह परियोजना न केवल यातायात और कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी। निर्माण के दौरान और इसके बाद स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
इसके अलावा बेहतर सड़क संपर्क से व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। जिससे कैमूर और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के पूर्ण होने पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच सड़क संपर्क और सुदृढ़ होगा। यह सुरंग बिहार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, जो राज्य को आधुनिक परिवहन सुविधाओं के नक्शे पर लाएगी। यह परियोजना न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि बिहार के विकास और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।