नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ पर बिहारशरीफ के चार बार के विधायक डॉ. सुनील कुमार ने आज मंत्रीपद की शपथ ली। 68 वर्षीय डॉ. सुनील कुमार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में शामिल किया गया है। इससे उनकी राजनीतिक यात्रा का एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। उनके अनुभव, लोकप्रियता और पार्टी के प्रति निष्ठा को देखते हुए यह पदभार उन्हें सौंपा गया है।
डॉ. सुनील कुमार का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उनका जन्म एक कारोबारी परिवार में हुआ था। लेकिन राजनीति में उनकी दिलचस्पी हमेशा से रही। उन्होंने पहली बार 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए। इसके बाद 2000 में भी उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाई। लेकिन सफलता नहीं मिली।
हालांकि 2005 में उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थामा और विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज की। इसके बाद 2010 में भी उन्होंने JDU के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन 2013 में जब बिहार की राजनीति में बदलाव आया और JDU और BJP का गठबंधन टूटा तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया।
उसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की और लगातार चौथी बार बिहारशरीफ का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक बने। उनकी कड़ी मेहनत, जनता के बीच लोकप्रियता और संगठनात्मक क्षमता के कारण उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।
राजनीति के अलावा डॉ. सुनील कुमार एक बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में भी जाने जाते हैं। वे पेशे से डॉक्टर हैं और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े रहे हैं। साथ ही उनका भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से भी नाता रहा है और वे एक फिल्म निर्माता के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया है और अपने क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।
हालांकि मंत्री बनाए जाने के बाद डॉ. सुनील कुमार के सामने नई चुनौतियां और जिम्मेदारियां हैं। बिहारशरीफ और नालंदा के लोग उनसे क्षेत्र के विकास को लेकर बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। सरकार में उनकी भूमिका क्या होगी, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक क्षमता को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे।
अब आगे देखने वाली बात यह होगी कि मंत्री के रूप में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है और वे अपने क्षेत्र तथा बिहार की जनता के लिए कितने प्रभावी साबित होते हैं।
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