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    Wednesday, November 12, 2025
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      HomeनालंदाBPSC Principal Teacher Exam: गणित और विज्ञान के सवालों में उलझे गुरुजी

      BPSC Principal Teacher Exam: गणित और विज्ञान के सवालों में उलझे गुरुजी

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बीपीएससी की प्रधान शिक्षक की प्रतियोगिता परीक्षा (BPSC Principal Teacher Exam) का आयोजन किया गया। आयोग के द्वारा परीक्षा को लेकर जिला मुख्यालय बिहार शरीफ में कुल 15 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इन परीक्षा केन्द्रों पर कुल 9008 अभ्यर्थी आवंटित किये गये थे। हालांकि परीक्षा में कुल 8365 अभ्यर्थी ही शामिल हो सके। विभिन्न परीक्षा केन्द्रों से कुल 643 अभ्यर्थी अनुपस्थित पाए गए।

      जिला प्रशासन के द्वारा शांतिपूर्ण व कदाचार मुक्त वातावरण में परीक्षा आयोजन को लेकर सभी परीक्षा केन्द्रों पर दंडाधिकारियों के साथ-साथ पुलिस पदाधिकारी तथा पुलिस बल के जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। जिला पदाधिकारी शशांक शुभंकर के द्वारा परीक्षा को लेकर गुरुवार को ही परीक्षा से जुड़े अधिकारियों, केंद्राधीक्षको तथा अन्य कर्मियों के साथ ब्रीफिंग कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए थे।

      परीक्षा एक ही पाली में 12:00 बजे मध्याह्न से लेकर 2:30 बजे अपराह्न तक आयोजित की गई। हालांकि आयोग के निर्देशानुसार अभ्यर्थियों को 10:00 बजे पूर्वाह्न से ही परीक्षा केन्द्रों पर कड़ी तलाशी के बाद प्रवेश दिया गया। परीक्षा शुरू होने के एक घंटा पूर्व 11:00 बजे के बाद किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा भवन में प्रवेश नहीं दिया गया। हालांकि अभ्यर्थी भी परीक्षा के निर्धारित समय के काफी पूर्व से ही केन्द्रों पर उपस्थित देखे गए।

      जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार के अनुसार जिले के सभी परीक्षा केन्द्रों पर शांतिपूर्ण व कदाचार मुक्त वातावरण में परीक्षा का आयोजन किया गया। किसी भी परीक्षा केंद्र से किसी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना नहीं है।

      परीक्षा केंद्र से बाहर निकले अभ्यर्थियों के अनुसार कि यह परीक्षा कुल 150 अंकों की ली गई है। इसके लिए अभ्यर्थियों से 150 बहुविकल्पिय प्रश्न पूछे गए। सामान्य ज्ञान के प्रश्न सामान्य स्तर के तथा शिक्षा से ही संबंधित रहने के कारण अभ्यर्थियों को सरल महसूस हुआ। जबकि गणित और विज्ञान के प्रश्नों में अभ्यर्थियों को काफी कठिनाई हुई। हालांकि गणित और विज्ञान के प्रश्न मैट्रिक स्तर तक के ही पूछे गए थे। लेकिन भाषा तथा समाजशास्त्र के शिक्षकों के लिए यह मुसीबत का कारण बना।

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