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सभी सरकारी स्कूलों में 3 महीने तक आयोजित होंगे चहक मॉड्यूल

नालंदा दर्पण डेस्क। एससीईआरटी पटना के द्वारा निर्मित चहक कार्यक्रम का नालंदा जिले के सभी सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में नामांकित छात्र-छात्राओं को बेहतर ढंग से पढ़ाने तथा विद्यालय से लगाव बढ़ाने के लिए   का आयोजन सोमवार 20 मई से शुरू हो जाएगा। यह कार्यक्रम लगातार 3 महीने तक आयोजित किए जाएंगे।

जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में अनामांकित छात्र छात्राओं की शिक्षा को और रोचक तथा बेहतर बनाने के लिए एससीईआरटी पटना के द्वारा चहक मॉड्यूल का निर्माण किया गया है। इसके तहत सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में नामांकित छात्र-छात्राओं को खेल- खेल में मनोरंजक ढंग से पढ़ाई कराई जाती है। इससे बच्चों का जुड़ाव विद्यालय से बढ़ता है तथा बच्चे विद्यालय आना ज्यादा पसंद करते हैं।

ऐसा अक्सर देखा गया है कि शुरुआत में बच्चे का मन विद्यालय में नहीं लगता है तथा वे विद्यालय से दूरी बनाना चाहते हैं। बच्चों की इस समस्या को चहक मॉड्यूल के द्वारा दूर किया जाता है। चहक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन के लिए एक कैलेंडर भी बनाया गया है। जिसका स्कूलों के द्वारा पालन करना आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि बिहार राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम के द्वारा जिला तथा प्रखंड स्तर पर चक अभ्यास पुस्तिका उपलब्ध कराई गई है। इसे जिले के प्राइमरी स्कूलों में उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक अपने अपने स्कूलों में पहली कक्षा में पढ़ने वाले नामित शिक्षकों जो पूर्व में चहक मॉड्यूल का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, उनके माध्यम से कार्यक्रम का संचालन शुरू करेंगे।

उन्होंने बताया की वर्ग एक के बच्चों का कक्षा संचालन अलग से किया जाएगा, ताकि बच्चे स्वतंत्र रूप से चहक मॉड्यूल के तहत आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले सकें। इसके लिए सभी प्राइमरी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। कार्यक्रम का आयोजन प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से ही किया जाएगा।

अनामांकित बच्चों का कराया जाएगा नामांकन: जिले के सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को अपने-अपने विद्यालय के पोषक क्षेत्र में 6 वर्ष आयु पूर्ण करने वाले अनामांकित बच्चों का नामांकन आंगनबाड़ी केंद्र के सेविकाओं से समन्वय बनाकर करने का निर्देश दिया गया है।

इसके साथ ही प्राइमरी स्कूलों के द्वारा क्षेत्र में जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इससे किसी भी विद्यालय के पोषक क्षेत्र में कोई बच्चा अनामांकित नहीं रह जाए। इसके साथ ही साथ विद्यालय में चहक गतिविधियों का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने का निर्देश दिया गया है।

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