राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के लिए गर्व का क्षण आने वाला हैं, जब राज्य पहली बार महिला एशियन हॉकी चैंपियनशिप ट्रॉफी की मेजबानी करेगा। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट 11 से 20 नवंबर तक राजगीर में आयोजित किया जाएगा। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 11 नवंबर को करेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन में एशिया की शीर्ष छह हॉकी टीमें- भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और थाईलैंड हिस्सा लेंगी।
प्रतियोगिता की तैयारियों पर जोरः खेल विभाग के प्रधान सचिव डॉ. बी. राजेंदर के अनुसार प्रतियोगिता की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। खिलाड़ियों और टीमों के आवासन, सुरक्षा, स्वागत और खानपान की व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा गया हैं।
टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम गया पहुंच गई है। जबकि चीन की टीम 7 नवंबर और जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और मलेशिया की टीमें 8 नवंबर को बिहार पहुंचेंगी।
भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत 11 नवंबर को मलेशिया के खिलाफ करेगी। इसके बाद भारतीय टीम के मैचों की तिथियां इस प्रकार हैं:
- 11 नवंबर: भारत बनाम मलेशिया।
- 12 नवंबर: भारत बनाम दक्षिण कोरिया।
- 14 नवंबर: भारत बनाम थाईलैंड।
- 16 नवंबर: भारत बनाम चीन।
- 17 नवंबर: भारत बनाम जापान।
18 नवंबर को होगा स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव और हॉकी चर्चाः प्रतियोगिता के दौरान 18 नवंबर को राजगीर खेल अकादमी में स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव-3 का आयोजन होगा। इसमें हॉकी पर चर्चा की जाएगी। इस कार्यक्रम में हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलिप तिर्की, पद्मश्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता अर्जुन रामपाल, पीआर श्रीजेश और अन्य प्रतिष्ठित खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।
राजगीर का विश्वस्तरीय हॉकी टर्फः बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरन ने बताया कि राजगीर का हॉकी टर्फ विश्व स्तरीय हैं। यहां भविष्य में हॉकी विश्व कप जैसे बड़े आयोजन भी संभव हो सकते हैं। इस प्रतियोगिता का सीधा प्रसारण सोनी लाइव और सोनी टेन स्पोर्ट्स चैनलों पर किया जाएगा। इसे दुनिया के 172 देशों के दर्शक देख सकेंगे।
दर्शकों के लिए विशेष व्यवस्थाः प्रशंसकों के लिए टिकटों की व्यवस्था ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर की गई हैं, जो एप के माध्यम से ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं। इसके अलावा जिन दर्शकों को स्टेडियम में प्रवेश नहीं मिल पाएगा। उनके लिए एक फैन पार्क में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी, जहां वे मैच का लाइव प्रसारण देख सकेंगे।
वेशक यह आयोजन बिहार के खेल इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता हैं। इससे न केवल राज्य में खेलों का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की पहचान और सशक्त होगी।
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