तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण का DPR तैयार

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के रेल नेटवर्क को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठने जा रहा है। तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पर नेशनल प्लानिंग ग्रुप की होने वाली बैठक में अंतिम मुहर लगने की संभावना है।
इस परियोजना के तहत रेलखंड की कुल लंबाई 102 किलोमीटर होगी। जिसमें हॉल्ट स्टेशनों के प्लेटफॉर्म की लंबाई 450 मीटर और क्रॉसिंग स्टेशनों के प्लेटफॉर्म की लंबाई 600 मीटर होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2270 करोड़ रुपये है, जो क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति प्रदान करेगी।
तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड का इतिहास सदी से भी पुराना है। इस रेलखंड की शुरुआत 19 जुलाई 1901 को मार्टिन लाइट के साथ हुए एग्रीमेंट से हुई थी। पहली रेलगाड़ी 1 जुलाई 1903 को बख्तियारपुर से बिहारशरीफ तक चली थी।
इसके बाद 1909 में सिलाव और 1911 में राजगीर तक रेल लाइन का विस्तार किया गया। शुरुआत में यह छोटी लाइन के रूप में संचालित थी, जो 1970 तक चली। 1962 में इसे बड़ी लाइन में परिवर्तित किया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन रेलमंत्री जगजीवन राम ने किया।
1998 में तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने तिलैया तक रेल लाइन के विस्तार की आधारशिला रखी और 29 जून 2010 को इसका उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी यह रेलखंड प्रगति की राह पर है। बख्तियारपुर-राजगीर खंड का विद्युतीकरण 2016-17 में और तिलैया तक विद्युतीकरण 2017 में पूरा हुआ।
- दोहरीकरण की लागत: 2,270 करोड़ रुपये
- कुल लंबाई: 102 किलोमीटर
- प्लेटफॉर्म की लंबाई: हॉल्ट स्टेशनों पर 450 मीटर, क्रॉसिंग स्टेशनों पर 600 मीटर
- रेलगाड़ी की गति सीमा: 110 किमी/घंटा
तिलैया-बख्तियारपुर रेलखंड का दोहरीकरण बिहार के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह परियोजना न केवल यात्री और माल ढुलाई की क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और रोजगार के अवसरों को भी प्रोत्साहन देगी। खास तौर पर राजगीर जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थल को इससे जोड़ा जाएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- रेल चलाने का एग्रीमेंट: 19 जुलाई 1901 (मार्टिन लाइट के साथ)।
- पहली रेलगाड़ी: 1 जुलाई 1903 (बख्तियारपुर से बिहारशरीफ)।
- सिलाव तक विस्तार: 1909
- राजगीर तक विस्तार: 1911
- छोटी लाइन के रूप में: 1970 तक।
- बड़ी लाइन में परिवर्तन: 1962 (उद्घाटन- जगजीवन राम)।
- तिलैया तक आधारशिला: 1998 (रेलमंत्री नीतीश कुमार)।
- तिलैया तक विस्तार: 29 जून 2010 (उद्घाटन- सीएम नीतीश कुमार)।
- बख्तियारपुर-राजगीर विद्युतीकरण: 2016-17
- तिलैया तक विद्युतीकरण: 2017
- जिला परिषद को सौंपा: 1972
- रेललाइन की गति सीमा: 110 किमी/घंटा।
- दोहरीकरण की लागत: 2,270 करोड़ रुपये।
- कुल लंबाई: 102 किलोमीटर।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना को हरी झंडी मिलने की प्रबल संभावना है। यदि ऐसा होता है तो जल्द ही इस रेलखंड के दोहरीकरण का कार्य शुरू हो सकता है। इससे स्थानीय लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही यह परियोजना रेलवे के आधुनिकीकरण और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगी।









