
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनुदानित दर पर ड्रोन उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना को एक साल बाद फिर से गति मिली है। यह योजना वर्ष 2024 में शुरू की गई थी। जिसके तहत अनुमंडल स्तर पर कीटनाशी दवा के छिड़काव के लिए ड्रोन प्रदान किए जाने थे।
हालांकि एजेंसी चयन में देरी के कारण यह योजना पिछले साल अधर में लटक गई थी। अब कृषि विभाग ने इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए हैं। जिससे किसानों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिल सके।
इस योजना के तहत प्रत्येक अनुमंडल में एक-एक ड्रोन प्रदान किया जाएगा। सरकार ड्रोन की खरीद पर 60 प्रतिशत या अधिकतम 3.50 लाख रुपये तक का अनुदान देगी।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार किसान किसी भी कंपनी का ड्रोन खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन अनुदान की अधिकतम सीमा 3.50 लाख रुपये ही होगी। ड्रोन का उपयोग खासकर खरीफ मौसम में कीटनाशी छिड़काव के लिए किया जाएगा, जो न केवल समय और श्रम की बचत करेगा, बल्कि फसलों की सुरक्षा को भी प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करेगा।
पिछले साल इस योजना के लिए किसानों ने उत्साहपूर्वक आवेदन किए थे और विभागीय प्रक्रियाएं भी लगभग पूरी हो चुकी थीं। लेकिन, एजेंसी चयन में देरी के कारण योजना को लागू नहीं किया जा सका।
परियोजना पदाधिकारी ने बताया कि अब इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया गया है। एजेंसी चयन के लिए री-टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो अगले तीन वर्षों के लिए होगी। इस निविदा में कीटनाशी दुकानदार, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), निजी कंपनियां और ड्रोन संचालन में सक्षम व्यक्ति या संगठन भाग ले सकते हैं, बशर्ते वे विभागीय दिशा-निर्देशों का पालन करें।
ड्रोन का उपयोग कृषि कार्यों में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह तकनीक न केवल कीटनाशी छिड़काव को आसान बनाती है, बल्कि इसे कम समय में अधिक प्रभावी ढंग से करने में भी सक्षम है। इससे किसानों को न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि उनकी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता भी बढ़ेगी।
कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि योजना को जल्द से जल्द लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। री-टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित एजेंसियां ड्रोन वितरण और संचालन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगी। इसके अलावा किसानों को ड्रोन के उपयोग और रखरखाव के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। ताकि वे इस तकनीक का अधिकतम लाभ उठा सकें।









