पेपर लीक सरगना संजीव मुखिया नेटवर्क के 11 ठिकानों पर ED की रेड से हड़कंप
"हम संजीव मुखिया के पूरे वित्तीय नेटवर्क को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह जांच न केवल नीट बल्कि अन्य परीक्षा घोटालों के पीछे के सच को सामने लाएगी..." -ईडी अधिकारी

हिलसा (नालंदा दर्पण)। नीट पेपर लीक मामले के कथित मास्टरमाइंड संजीव मुखिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 11 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की। इस कार्रवाई ने नालंदा के नगरनौसा से लेकर रांची, लखनऊ और कोलकाता तक हड़कंप मचा दिया है। ईडी की इस कार्रवाई का नेतृत्व दिल्ली की टीम कर रही है और यह 2023 के बिहार कांस्टेबल भर्ती घोटाले और 2024 के नीट-यूजी पेपर लीक मामले की मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़ा है।
नालंदा जिले के नगरनौसा थाना क्षेत्र में संजीव मुखिया के घर और उनके करीबी सहयोगी सिकंदर प्रसाद यादवेंद्र के गोसाईं मठ स्थित आवास पर ईडी की टीम ने सुबह तलाशी शुरू की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने हंगामा किया ।
सूत्रों के अनुसार एक घरेलू सदस्य ने ईडी अधिकारी का मोबाइल फोन छीन लिया। हालांकि नगरनौसा थानाध्यक्ष शशि रंजन मिश्रा ने मोबाइल छीनने की बात से इंकार किया। स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप के बाद स्थिति नियंत्रित हुई और ईडी ने अपनी कार्रवाई जारी रखी।
बता दें कि नालंदा के नगरनौसा गांव के निवासी संजीव मुखिया, जिसे स्थानीय लोग ‘लूटन मुखिया’ के नाम से भी जानते हैं, वह नूरसराय के उद्यान महाविद्यालय में तकनीकी सहायक के रूप में कार्यरत था। नीट पेपर लीक मामले में नाम सामने आने के बाद उन्होंने बीमारी का हवाला देकर छुट्टी ली और फरार हो गया। अप्रैल 2025 में बिहार पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने उन्हें पटना के दानापुर से गिरफ्तार किया था। उन पर तीन लाख रुपये का इनाम घोषित था और वर्तमान में वह जेल में हैं।
ईडी की जांच में पता चला है कि संजीव मुखिया ने अपने गैंग के साथ मिलकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में एक व्यापक पेपर लीक नेटवर्क संचालित किया। इस नेटवर्क ने नीट-यूजी 2024 के अलावा बिहार कांस्टेबल भर्ती 2023, बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) शिक्षक भर्ती 2024 और उत्तर प्रदेश व हरियाणा में अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक किए।
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की जांच में सामने आया कि संजीव मुखिया, जो एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी था, उसने अपनी आय से 144% अधिक संपत्ति अर्जित की। उसकी 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है। जिसमें संपत्ति के दस्तावेज, वाहन, बैंक जमा और सोने-चांदी के आभूषण शामिल हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज मामले में उनके और उनके परिवार के वित्तीय लेनदेन की जांच तेज कर दी है।
मुखिया के बेटे डॉ. शिव कुमार, जो हाल ही में जेल से जमानत पर रिहा हुआ है, वह भी इस मामले में आरोपी हैं। वह अपनी मां ममता देवी के साथ 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरनौत सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रचार में सक्रिय हैं। ममता देवी 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हरनौत से चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
ईडी के आज 19 जून 2025 को पटना, नालंदा, रांची, लखनऊ और कोलकाता में 11 ठिकानों पर छापेमारी की। रांची में सिकंदर प्रसाद यादवेंद्र के बरियातु स्थित आवास और उनके बेटे डॉ. शिव के पटना स्थित ठिकानों पर भी तलाशी ली गई। कोलकाता में एक प्रिंटिंग प्रेस, जो बिहार कांस्टेबल भर्ती 2023 के प्रश्नपत्र छापने में शामिल था, उसे भी जांच के दायरे में लिया गया। लखनऊ में मुखिया के सहयोगियों के ठिकानों पर भी कार्रवाई हुई।
ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है। शुरुआती जांच में पाया गया कि नीट-यूजी और बिहार कांस्टेबल भर्ती घोटाले के मास्टरमाइंड एक ही हैं। हम उनके वित्तीय नेटवर्क, शेल कंपनियों, और नकद लेनदेन की जांच कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नीट-यूजी 2024 का प्रश्नपत्र 5 मई 2024 को झारखंड के हजारीबाग में ओएसिस स्कूल से लीक हुआ था। जांच में पता चला कि प्रश्नपत्र को पटना के एक निजी स्कूल में ले जाया गया, जहां 20-25 उम्मीदवारों को रातभर प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका रटवाए गए। प्रत्येक उम्मीदवार से 8-15 लाख रुपये वसूले गए। इस मामले में सीबीआई ने अब तक 45 लोगों को गिरफ्तार किया है और पांच चार्जशीट दाखिल की हैं।
संजीव मुखिया ने पूछताछ में खुलासा किया कि उन्होंने कई राजनेताओं, डॉक्टरों और सरकारी अधिकारियों के बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलवाया। उन्होंने प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारियों और कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के साथ मिलकर यह रैकेट चलाया।
ईडी और सीबीआई की संयुक्त जांच से पेपर लीक माफिया के और बड़े खुलासे होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार मुखिया के नेटवर्क में कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं, जिनके नाम सामने आने से सियासी और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच सकता है। ईडी अगले कुछ दिनों में बैंक रिकॉर्ड, रियल एस्टेट सौदों और डिजिटल भुगतानों की गहन जांच करेगी।
इस कार्रवाई ने एक बार फिर शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और पेपर लीक माफिया की गहरी पैठ को उजागर किया है। नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जांच एजेंसियों पर दबाव बढ़ गया है। (समाचार स्रोत: बिहार पुलिस, ईडी और सीबीआई के आधिकारिक बयान, दैनिक भास्कर, इंडियन एक्सप्रेस)









