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    Wednesday, November 12, 2025
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      बिहार के 81 हजार सरकारी स्कूलों की पहली बार होगी रैंकिंग, जानें नई व्यवस्था

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार राज्य के 81 हजार सरकारी स्कूलों की रैंकिंग अगले महीने पहली बार की जाएगी, जो शिक्षा व्यवस्था में एक नई शुरुआत मानी जा रही है। यह रैंकिंग हर साल दो बार  नवंबर और मार्च में आयोजित की जाएगी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस रैंकिंग प्रक्रिया के निर्देश पहले ही जारी कर दिए हैं।

      राज्य भर में सरकारी स्कूलों की कुल संख्या करीब 81 हजार है। जिनमें 43 हजार प्राइमरी स्कूल, 29 हजार मिडिल स्कूल और 9,360 प्लस टू स्कूल शामिल हैं। रैंकिंग के लिए प्राइमरी-मिडिल और हाई-प्लस टू स्कूलों के लिए अलग-अलग मापदंड और फॉर्मेट तैयार किए गए हैं।

      इसमें स्कूलों के शिक्षण और अधिगम, संसाधनों का उपयोग साफ-सफाई, सह-शैक्षिक गतिविधियां और शिकायत निवारण जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। इन सभी मानकों के आधार पर 100 अंक का स्कोर तय किया गया है और उसी के आधार पर स्कूलों को ग्रेड दिया जाएगा।

      रैंकिंग में विभिन्न स्कूलों को उनके प्रदर्शन के आधार पर स्टार रेटिंग दी जाएगी-

      • A+ ग्रेड (फाइव स्टार): 85-100 अंक
      • A ग्रेड (फोर स्टार): 75-84 अंक
      • B ग्रेड (थ्री स्टार): 50-74 अंक
      • C ग्रेड (टू स्टार): 25-49 अंक
      • D ग्रेड (वन स्टार): 0-24 अंक

      इसमें सबसे ज्यादा 60 अंक शिक्षण और अधिगम पर आधारित हैं, जिसमें छात्रों की परीक्षा के औसत अंक, उपस्थिति और शिक्षकों की कक्षाओं में सहभागिता पर ध्यान दिया गया है।

      इसके अलावा साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए 15 अंक, संसाधनों के उपयोग के लिए 12 अंक, सह-शैक्षिक गतिविधियों के लिए 10 अंक और शिकायत निवारण के लिए तीन अंक तय किए गए हैं।

      शिक्षण और अधिगम: शिक्षण और अधिगम के लिए 60 अंक में अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं में औसत अंक के लिए 20 अंक, मासिक जांच परीक्षा के लिए 10 अंक, छात्रों और शिक्षकों की औसत उपस्थिति के लिए 10-10 अंक दिए जाएंगे।

      इसके अलावा छात्रों के क्लासवर्क और होमवर्क की जांच, सहायक कक्षाओं (मिशन दक्ष) और शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी के लिए भी अंक निर्धारित किए गए हैं।

      स्वच्छता और संसाधन उपयोग: स्वच्छता के तहत छात्रों की व्यक्तिगत साफ-सफाई, कक्षा, रसोईघर, विद्यालय परिसर और शौचालय की साफ-सफाई के लिए 15 अंक दिए जाएंगे।

      संसाधनों के उपयोग के लिए कक्षा-कक्षों की उपलब्धता, जलापूर्ति, आईसीटी लैब, स्टेम लैब और पुस्तकालय के उपयोग पर 12 अंक दिए जाएंगे।

      सह-शैक्षिक गतिविधियां और शिकायत निवारण: सह-शैक्षिक गतिविधियों में चेतना सत्र, योग, व्यायाम, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वास्थ्य जांच जैसी गतिविधियों पर 10 अंक निर्धारित हैं। वहीं शिकायत निवारण के लिए कमांड और कंट्रोल सेंटर में शिकायतों के समाधान पर तीन अंक मिलेंगे।

      क्या होगा असर: इस नई रैंकिंग प्रणाली से सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को सुधारने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की उम्मीद है। इसका सीधा असर शिक्षकों के वार्षिक मूल्यांकन और स्कूल की छवि पर भी पड़ेगा।

      साथ ही बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों को सम्मानित किया जाएगा, जिससे शिक्षा में नवाचार और सुधार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

      इस तरह पहली बार लागू हो रही यह रैंकिंग व्यवस्था शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ी क्रांति की ओर इशारा करती है, जो भविष्य में बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति को बदलने का प्रयास करेगी।

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