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    Monday, February 10, 2025
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      एनसीसी कैडेटों का विश्वशांति स्तूप से नालंदा विश्वविद्यालय तक ऐतिहासिक परिभ्रमण

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। नेशनल ट्रेकिंग कैंप के तहत देश के विभिन्न राज्यों से आए एनसीसी कैडेटों ने राजगीर और नालंदा के ऐतिहासिक धरोहरों का भ्रमण किया। इस यात्रा में 250 से अधिक कैडेटों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल, विश्वशांति स्तूप और घोड़ाकटोरा झील जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा किया।

      इस परिभ्रमण का उद्देश्य न केवल कैडेटों को भारत की प्राचीन शिक्षण व्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराना था, बल्कि उन्हें शांति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देना था।

      प्राचीन नालंदा की धरोहरों का अन्वेषणः पहले सिडीकेट में उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार, और झारखंड के एनसीसी कैडेटों ने लेफ्टिनेंट कर्नल अजय कुमार के नेतृत्व में नालंदा के भग्नावशेष और ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल का दौरा किया।

      इस दौरान कैडेटों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रणाली और उसके महत्त्व पर जानकारी प्राप्त की। लेफ्टिनेंट कर्नल अजय कुमार ने कैडेटों को बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय विश्व के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था, जहाँ दूर-दूर से विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे।

      इस भ्रमण में एनसीसी अधिकारी कैप्टन अरुण पांडेय, लेफ्टिनेंट मौर्या, और मधुकांत सहित सुवेदार मान सिंह और नायब सुवेदार राज कुमार ने भी हिस्सा लिया। कैडेटों ने इन धरोहरों को करीब से देखा और भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के महत्व को समझा।

      राजगीर की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य से परिचयः दूसरे सिडीकेट में पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तर पूर्वी राज्यों और बिहार के एनसीसी कैडेटों ने राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया।

      इस समूह का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रदीप तक्षक ने किया। उनके साथ कैप्टन तिवारी और 38 बिहार बटालियन के सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे। कैडेटों ने रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित विश्वशांति स्तूप का दौरा किया, जो दुनिया में शांति और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।

      लेफ्टिनेंट कर्नल प्रदीप तक्षक ने बताया, “विश्वशांति स्तूप एक प्रतीक है जो न केवल शांति का संदेश देता है, बल्कि मनुष्य को अपने भीतर की शांति और दुनिया में प्रेम की भावना विकसित करने की प्रेरणा भी देता है।” इसके बाद कैडेटों ने घोड़ाकटोरा झील और पार्क का भी भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त की।

      ज्ञान और जागरूकता का प्रसारः पूरे कार्यक्रम की योजना कैंप कमांडेंट कर्नल राजेश बाहरी के निर्देशानुसार की गई थी। उन्होंने कहा, “इस कैंप का मुख्य उद्देश्य कैडेटों को देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित कराना है। इसके अलावा यह यात्रा पर्यावरण संरक्षण और शांति के महत्व को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।”

      संपूर्ण यात्रा का महत्वः इस भ्रमण ने एनसीसी कैडेटों को न केवल भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों से अवगत कराया, बल्कि शांति, एकता और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर भी जागरूक किया।

      भिन्न-भिन्न राज्यों से आए इन युवा कैडेटों ने राजगीर और नालंदा के इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य को न केवल देखा, बल्कि इससे जुड़े गहरे संदेशों को भी आत्मसात किया। यह यात्रा कैडेटों के लिए न केवल एक शैक्षणिक अनुभव था, बल्कि इसे उन्होंने जीवन भर के लिए प्रेरणादायक क्षण के रूप में ग्रहण किया।

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