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अजी स्कूल को छोड़िए, खुद रो रहा है नालंदा शिक्षा कार्यालय!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की बात तो दूर, जिला शिक्षा कार्यालय का भवन ही अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। तीन साल पहले जिला शिक्षा भवन के निर्माण को मिली स्वीकृति आज भी कागजों में कैद है। जमीन की तलाश में भटक रहे अधिकारियों की लापरवाही के चलते शिक्षा विभाग के कर्मचारी जर्जर इमारत में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं।

बिहारशरीफ के नालंदा कॉलेजिएट परिसर में स्थित परीक्षा भवन में संचालित जिला शिक्षा कार्यालय की हालत अत्यंत चिंताजनक है। समग्र शिक्षा कार्यालय की छत से आए दिन टुकड़े गिरते रहते हैं, जिससे कर्मचारियों की जान को लगातार खतरा बना रहता है।

कई बार कर्मचारी बाल-बाल बचे हैं। मानसून के दौरान स्थिति और भी भयावह हो जाती है। छत से रिसने वाला पानी महत्वपूर्ण दस्तावेजों और फाइलों को नुकसान पहुंचाता है। कर्मचारियों को छाता लगाकर काम करने की नौबत आ चुकी है।

समग्र शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने अपनी परेशानियों को लेकर जिला परियोजना अधिकारी (डीपीओ) को पत्र लिखा है। पत्र में साफ कहा गया है कि भवन की स्थिति पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है और यहां काम करना जान जोखिम में डालने के समान है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई तो किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

नए जिला शिक्षा भवन की योजना बेहद महत्वाकांक्षी है। 720 वर्ग फुट क्षेत्र में चार मंजिला भूकंपरोधी भवन का निर्माण प्रस्तावित है, जिस पर फर्नीचर सहित 4.09 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी बिहार आधारभूत शैक्षणिक संरचना निगम लिमिटेड को सौंपी गई है।

इस प्राक्कलित भवन में वातानुकूलित कमरे- सभी मंजिलों पर आधुनिक सुविधाओं से लैस कार्यालय, अटैच शौचालय और बाथरूम- प्रत्येक कार्यालय के साथ, ग्राउंड फ्लोर- वाहन पार्किंग के लिए समर्पित, प्रथम तल- कॉन्फ्रेंस हॉल, डीईओ कार्यालय, डीपीओ कार्यालय, एमआईएस और तकनीकी सेल के लिए अलग-अलग स्थान जैसी सुविधाएं होंगी।

जिला शिक्षा पदाधिकारी आनंद विजय ने बताया कि नए शिक्षा भवन के निर्माण के लिए उपयुक्त जमीन की तलाश जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जैसे ही जमीन का चयन हो जाएगा, निर्माण कार्य तुरंत शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा समग्र शिक्षा कार्यालय की मरम्मत के लिए सहायक अभियंता को प्राक्कलन तैयार करने का निर्देश दिया गया है।

बहरहाल नालंदा, जो कभी विश्व की शिक्षा राजधानी के रूप में जाना जाता था, आज एक अदद शिक्षा कार्यालय की बदहाली का शिकार है। जिस जिले ने विश्व को ज्ञान का प्रकाश दिया, वहां शिक्षा विभाग के कर्मचारी जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए खतरनाक है, बल्कि जिले की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है।

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