नालंदा महिला कॉलेज में शुल्क वृद्धि के खिलाफ छात्राओं का बवाल

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा महिला कॉलेज में नामांकन शुल्क में कथित अनियमितता और अधिक वसूली के खिलाफ छात्राओं ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। आक्रोशित छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूलने और बिना रसीद के पैसे लेने का गंभीर आरोप लगाया। इस मुद्दे को लेकर छात्राओं ने कॉलेज के सामने मुख्य सड़क जाम कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रशासन नामांकन के लिए 2380 से 2500 रुपये तक की राशि वसूल रहा है, जो आसपास के अन्य कॉलेजों की तुलना में कहीं अधिक है।
एक प्रदर्शनकारी छात्रा प्रिया कुमारी ने बताया, “हमें जबरन अधिक शुल्क देना पड़ रहा है, जबकि पड़ोस के कॉलेजों में यह राशि लगभग आधी है। इसके अलावा, कई बार बिना रसीद के पैसे लिए जा रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है।”
छात्राओं ने इसे वित्तीय अनियमितता करार देते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने कॉलेज गेट के सामने धरना दिया और सड़क जाम कर नारेबाजी की। शुल्क वापस करो, प्रशासन जवाब दो जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शन के कारण मुख्य सड़क पर वाहनों की आवाजाही बाधित हुई, जिससे स्थानीय लोगों को भी असुविधा का सामना करना पड़ा।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जितेंद्र रजक ने छात्राओं के आरोपों का खंडन करते हुए इसे बाहरी तत्वों की साजिश करार दिया और कहा कि कॉलेज को राज्य सरकार से मिलने वाली 5.74 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है, जिसके कारण कॉलेज को अपनी व्यवस्थाएं आंतरिक संसाधनों से चलानी पड़ रही हैं।
डॉ. रजक ने स्पष्ट किया, “शुल्क वसूली पूरी तरह ऑनलाइन माध्यम से हो रही है। बिना रसीद या पर्ची से पैसे लेने का आरोप पूरी तरह निराधार और भ्रामक है। हम पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कॉलेज प्रशासन छात्राओं की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्राओं से संवाद स्थापित करने और शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को हल करने की अपील की।
प्रदर्शन के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्राओं से बातचीत कर सड़क जाम को समाप्त करवाया। कॉलेज प्रबंधन ने भी छात्राओं को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और उचित समाधान निकाला जाएगा।
छात्राओं ने मांग की है कि शुल्क को तत्काल संशोधित किया जाए और पारदर्शी तरीके से रसीद प्रदान की जाए। साथ ही, उन्होंने कॉलेज प्रशासन से अन्य कॉलेजों के शुल्क ढांचे के अनुरूप नीति अपनाने की मांग की।
प्रदर्शनकारी छात्राओं में से एक रानी कुमारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारी पढ़ाई पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न डाला जाए। हमारी मांगें जायज हैं और हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक हमें न्याय नहीं मिलता।”
स्थानीय लोगों और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना ने कॉलेजों में शुल्क निर्धारण और वित्तीय पारदर्शिता के मुद्दे को फिर से उजागर किया है। नालंदा महिला कॉलेज जैसे शैक्षणिक केंद्र में इस तरह की समस्याएं क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच पर सवाल उठाती हैं।









