“नालंदा के इस गांव की स्थिति एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आदर्श योजनाओं में क्या सिर्फ खानापूर्ति है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरे के बाद क्या यह गांव वास्तव में आदर्श बन पाएगा या फिर यहां के लोग यूं ही समस्याओं का सामना करते रहेंगे…?
राजगीर (नालंदा दर्पण)। सिलाव प्रखंड अंतर्गत आदर्श गांव नानंद इन दिनों सुर्खियों में है। 2016 में आदर्श गांव के लिए चयनित इस गांव को स्थानीय जदयू सांसद कौशलेन्द्र कुमार द्वारा गोद लिया गया था। लेकिन विकास के दावों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
आगामी दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां ग्रामीण विकास की समीक्षा के लिए दौरा करेंगे। इस दौरे को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन गांव की अधूरी सुविधाओं ने सवाल खड़े कर दिए हैं। योजनाओं की लूट-खसोंट सब कुछ बारा-न्यारा कर रखा है।
गांव की एक बड़ी समस्या कच्ची नालियां और बहता गंदा पानी है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गांव के लगभग 80 फीसदी हिस्से में नालियां कच्ची हैं। इनमें से कई जगहों पर नाली का पानी सीधे गलियों में बह रहा है। जिससे बदबू और असुविधा का सामना करना पड़ता है। खासकर बरसात के मौसम में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कच्ची नालियों के अंदर से ही पेयजल पाइपलाइन जोड़ी गई है। इससे न सिर्फ पानी में दुर्गंध आती है। बल्कि स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता पर भी सवाल उठते हैं। गांव के लोगों को शुद्ध पानी के लिए अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
गांव को आदर्श बनाने की जिम्मेदारी सांसद ने ली थी। उनके करीबी लोगों ने यहां विकास कार्यों का दावा किया। लेकिन हकीकत में नालियों, सड़कों और जल निकासी जैसी बुनियादी सुविधाओं की हालत जर्जर बनी हुई है।
मुख्यमंत्री के दौरे से गांव के लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है कि दौरे के दौरान गांव को व्यवस्थित दिखाया जा सके। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि स्थायी समाधान की बजाय अभी सिर्फ दिखावे पर जोर दिया जा रहा है।
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