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अब आंगनबाड़ी के बच्चों को स्टील के बर्तन में मिलेगा भोजन, मेनू भी बदला

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए एक नई और स्वागत योग्य पहल शुरू होने जा रही है। जुलाई माह से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को स्टील की नई थाली, कटोरे और चम्मच में पौष्टिक भोजन परोसा जाएगा। नौ साल बाद लागू होने वाली इस व्यवस्था के तहत न केवल बर्तनों को बदला जा रहा है, बल्कि भोजन के मेनू में भी व्यापक बदलाव किया गया है। 

विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रत्येक बच्चे को एक स्टील की थाली, एक कटोरा और एक चम्मच प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों को भोजन तैयार करने के लिए नई कड़ाही, स्टील का टोपिया और अन्य आवश्यक बर्तन उपलब्ध कराए जाएंगे। यह व्यवस्था न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देगी, बल्कि बच्चों को एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में भोजन करने का अवसर भी प्रदान करेगी।

इस नई पहल को कुपोषण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। स्टील के बर्तनों के उपयोग से भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता बनी रहेगी। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। साथ ही नई बर्तन व्यवस्था से आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यप्रणाली में भी पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए तैयार किए गए नए साप्ताहिक मेनू को विशेष रूप से उनके शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। नया मेनू न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों से भी भरपूर है।

साप्ताहिक मेनू में भी बदलाव किया गया है। सोमवार को पुलाव- यह बच्चों को स्वाद के साथ-साथ ऊर्जा प्रदान करेगा।  मंगलवार को आलू-चना की सब्जी और चावल- प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का संतुलित मिश्रण।  बुधवार को सोयाबीन और आलू की सब्जी के साथ चावल- प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत। गुरुवार को गुड़ की खीर- आयरन और कैल्शियम से भरपूर, जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। शुक्रवार को आलू-चना की सब्जी और चावल- नियमित पोषण की निरंतरता।  शनिवार को खिचड़ी- सुपाच्य और संतुलित आहार, जो बच्चों के लिए आदर्श है।

इस साप्ताहिक मेनू का उद्देश्य बच्चों को विविध और संतुलित आहार प्रदान करना है। ताकि उनके शारीरिक और मानसिक विकास में कोई कमी न रहे।

यह नई व्यवस्था जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कुपोषण एक गंभीर समस्या है और इस तरह की पहल से बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि स्वच्छ बर्तनों और पौष्टिक भोजन के नियमित सेवन से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी। जिससे वे स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकेंगे।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि वे नए मेनू को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें और स्वच्छता के मानकों का पालन सुनिश्चित हो।

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