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PK की जन सुराज ने 3 क्षेत्रों में खोले पत्ते, RCP की बेटी को भी दिया टिकट

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार की राजनीति में इन दिनों उम्मीदवारों के चयन को लेकर हलचल मची हुई है। बड़े गठबंधनों में अभी भी ऊहापोह का माहौल बरकरार है, वहीं प्रशांत किशोर (PK) की नई राजनीतिक पहल ‘जन सुराज’ ने नालंदा जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में अपने पत्ते खोल दिए हैं। पार्टी ने न केवल स्थानीय स्तर के प्रभावशाली चेहरों को चुना है, बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की पुत्री को टिकट देकर सबको चौंका दिया है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों में जन सुराज की सक्रिय भूमिका को रेखांकित करता है, जबकी एनडीए और महागठबंधन में अभी भी सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसे हुए हैं।

जन सुराज पार्टी ने मंगलवार को जारी की गई अपनी उम्मीदवार सूची में नालंदा जिले के बिहारशरीफ, नालंदा और अस्थावां विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामों का ऐलान किया। बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मेयर दिनेश कुमार को पार्टी का टिकट मिला है। दिनेश कुमार लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं और नगर निगम में अपनी कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों के लिए जाने जाते हैं।

नालंदा विधानसभा क्षेत्र से जिला परिषद (जिप) सदस्य कुमारी पूनम सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया है। पूनम सिन्हा बेन क्षेत्र की रहने वाली हैं और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर हमेशा मुखर रही हैं। ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए उनके प्रयासों को सराहा जाता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार पूनम का चयन महिलाओं को राजनीति में आगे लाने की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि पूनम का अपना अलग सीमित दायरा है।

सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना है अस्थावां विधानसभा क्षेत्र से पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र और पूर्व राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह की पुत्री लता सिंह को मिला टिकट। लता सिंह राजनीतिक परिवार की बहू-बेटी के रूप में पहचानी जाती हैं। आरसीपी सिंह एक समय जदयू और उसके बाद भाजपा के प्रमुख चेहरों में शुमार थे। उनकी बेटी को टिकट देकर जन सुराज ने राजनीतिक विरासत का लाभ उठाने यानि परिवारवाद को बढ़ावा देने की भी की कोशिश की है।

जनसुराज की यह घोषणा नालंदा जिले की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। प्रशांत किशोर उर्फ पीके द्वारा स्थापित जन सुराज बिहार में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है। पार्टी का दावा है कि यह बिना किसी बड़े गठबंधन के स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी और विकास, रोजगार तथा शिक्षा जैसे मुद्दों पर फोकस करेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन उम्मीदवारों का चयन स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति का हिस्सा है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा कि पीके की रणनीति स्थानीय चेहरों को आगे लाकर बड़े दलों को चुनौती देना है। आरसीपी सिंह जैसे नाम का जुड़ाव पार्टी के लिए कितना अहम होगा, इसकी परीक्षा भी हो जाएगी।

दूसरी ओर नालंदा के सात विधानसभा क्षेत्रों में बड़े गठबंधनों में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एनडीए में जदयू और भाजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। हिलसा, इस्लामपुर और हरनौत में जदयू द्वारा नए चेहरों के नामों की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों के अनुसार हिलसा से जदयू के मौजूदा विधायक या कोई नया उम्मीदवार मैदान में उतर सकता है, जबकि इस्लामपुर में भाजपा का दावा मजबूत है। हरनौत में भी जदयू नए नाम पर विचार कर रही है। हालांकि, अंतिम फैसला दिल्ली से होने की संभावना है।

महागठबंधन की स्थिति और भी जटिल है। आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही। नालंदा के किसी भी क्षेत्र में अभी तक निश्चित चेहरा सामने नहीं आया है। हिलसा और इस्लामपुर को लेकर लगभग उम्मीदवार तय हो चुके हैं, लेकिन राजगीर, नालंदा और अस्थावां जैसे क्षेत्रों में दावेदारों की होड़ लगी हुई है।

नालंदा जिला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है। यह हमेशा से बिहार की राजनीति का हॉटस्पॉट रहा है। यहां के मतदाता विकास के साथ-साथ जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखते हैं। जन सुराज का यह कदम बड़े दलों को अलर्ट कर सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक वोट बैंक कमजोर पड़ रहा है। आने वाले दिनों में उम्मीदवारों की सूची पूरी होने के बाद चुनावी समर और रोचक ने की पूरी संभावना है।

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