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नीतीश की गढ़ में राहुल गांधी भरेंगे हुंकार, EBC सम्मेलन होंगे शामिल

राहुल गांधी का नालंदा दौरा और EBC सम्मेलन बिहार की सियासत में एक नया अध्याय जोड़ने की तैयारी है। यह न केवल नीतीश कुमार के गढ़ में कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि 2025 का विधानसभा चुनाव आसान नहीं होगा...

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में आगामी 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी एक बार फिर बिहार के दौरे पर आ रहे हैं और इस बार उनका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा अगला पड़ाव होगा। 27 मई को राहुल गांधी नालंदा में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) सम्मेलन’ को संबोधित करेंगे। यह सम्मेलन न केवल सामाजिक एकजुटता का मंच है, बल्कि कांग्रेस की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। जिसके जरिए वह नीतीश कुमार के मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) समुदाय को नीतीश कुमार का मजबूत आधार माना जाता है। पिछले कई दशकों से नीतीश ने इस समुदाय के सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिसके चलते EBC वोटरों का बड़ा हिस्सा जनता दल (यूनाइटेड) के साथ रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में EBC समुदाय की कुछ नाराजगी और आर्थिक,सामाजिक असमानता के मुद्दों ने कांग्रेस को इस वर्ग में पैठ बनाने का मौका दिया है।

राहुल गांधी का नालंदा दौरा इसी रणनीति का हिस्सा है। नालंदा न केवल नीतीश का गृह जिला है, बल्कि बिहार की राजनीति का एक संवेदनशील केंद्र भी है। ऐसे में यहां राहुल गांधी का यह कदम सीधे तौर पर नीतीश के प्रभाव क्षेत्र में चुनौती देने जैसा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह EBC समुदाय को यह संदेश देना चाहती है कि उनकी समस्याओं का हल केवल कांग्रेस के पास है।

बता दें कि जनवरी 2024 से अब तक राहुल गांधी का यह बिहार का पांचवां दौरा होगा। इससे साफ है कि कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ग्राउंड लेवल पर अपनी सक्रियता बढ़ा रही है।

राहुल गांधी का पिछला दौरा 15 मई को हुआ था, जब वे दरभंगा के एक छात्रावास में बिना प्रशासनिक अनुमति के पहुंचे और छात्रों से संवाद किया। इस घटना ने खूब सुर्खियां बटोरीं और दो अलग-अलग प्राथमिकियां भी दर्ज हुईं। लेकिन राहुल गांधी ने अपने जन संपर्क अभियान को रुकने नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने पटना में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ फूले पर आधारित एक फिल्म देखी। इसके जरिए उन्होंने जातीय समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे को और मजबूती से उठाया।

27 मई को होने वाला EBC सम्मेलन नालंदा में एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक मंच के रूप में उभरने की संभावना है। इस सम्मेलन में राज्य और जिला स्तर के कांग्रेस नेताओं के साथ,साथ EBC समुदाय के लोगों की बड़ी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस मंच से राहुल गांधी न केवल EBC समुदाय के सामने अपनी पार्टी की नीतियों को रखेंगे, बल्कि नीतीश कुमार की उन नीतियों की आलोचना भी करेंगे, जो कांग्रेस के अनुसार EBC समुदाय के हित में पर्याप्त नहीं रही हैं।

कांग्रेस का दावा है कि नीतीश सरकार ने EBC समुदाय के लिए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में अपेक्षित प्रगति नहीं की। राहुल गांधी इस सम्मेलन में EBC समुदाय को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे कि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता के लिए ज्यादा ठोस कदम उठाएगी।

नालंदा का चयन इस सम्मेलन के लिए संयोगवश नहीं है। यह जिला नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र होने के साथ,साथ बिहार की सियासत में एक मजबूत प्रतीक है। यहां की जनता नीतीश के प्रति वफादारी के लिए जानी जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ सामाजिक और आर्थिक मुद्दों ने इस वफादारी को चुनौती दी है। कांग्रेस इसे एक सुनहरा अवसर मान रही है।

इसके अलावा नालंदा बिहार के उन जिलों में से एक है, जहां EBC समुदाय की आबादी अच्छी-खासी है। राहुल गांधी का यह दौरा न केवल नालंदा, बल्कि पूरे बिहार में EBC वोटरों को लुभाने की कोशिश मानी जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इस सम्मेलन के जरिए नीतीश के गढ़ में सेंध लगा पाएगी।

हालांकि राहुल गांधी के इस दौरे से जहां कांग्रेस को EBC समुदाय में अपनी पैठ बनाने का मौका मिल रहा है, वहीं कई चुनौतियां भी हैं। नीतीश कुमार का EBC समुदाय के बीच गहरा प्रभाव और उनकी सामाजिक योजनाएं, जैसे कि EBC कोटे और पंचायती राज में आरक्षण, अभी भी उनके पक्ष में हैं।

इसके अलावा बीजेपी,जेडीयू गठबंधन की मजबूत संगठनात्मक शक्ति भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिर भी कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल गांधी का करिश्मा और उनकी सामाजिक न्याय की नीति EBC समुदाय को आकर्षित कर सकती है। अगर यह सम्मेलन सफल रहा तो यह बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है।

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