नालंदा दर्पण डेस्क / मुकेश भरतीय। बिहार राज्य में स्थित राजगीर प्रमुख रुप से अपने गर्म कुंड झरनों के लिए प्रसिद्ध है। ये झरने न केवल प्राकृतिक चमत्कार हैं, बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहां के गर्म कुंड झरनों का उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और धर्मग्रंथों में भी मिलता है।
माना जाता है कि इन गर्म कुंड-झरनों का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है और विभिन्न बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है। यही कारण है कि हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं।
राजगीर के गर्म कुंडों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अत्यंत रोचक और जानकारीपूर्ण है। इन कुंडों का पानी जियोथर्मल गतिविधियों की वजह से गर्म होता है।
भूतल के नीचे स्थित गर्म चट्टानों से निकलने वाली गर्मी के कारण पानी का तापमान उच्च स्तर पर पहुंचता है, जो औसतन 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
इस उच्च तापमान का स्रोत धरती के भीतर की भूगर्भीय गतिविधियों में छिपा है, जो सतह पर गर्म पानी के रूप में प्रकट होता है।
गर्म कुंड के पानी में खनिज तत्वों की प्रचुरता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह पानी मुख्यतः सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और सोडियम जैसे खनिज तत्वों से समृद्ध होता है। इन खनिज तत्वों का शरीर पर चिकित्सकीय प्रभाव होता है।
विशेष रूप से सल्फर त्वचा रोगों के उपचार में सहायक माना जाता है। यही कारण है कि त्वचा सम्बंधी समस्याओं से पीड़ित लोग गर्म कुंड के पानी में स्नान करने आते हैं।
इसके अतिरिक्त गर्म पानी में स्नान करने से मांसपेशियों में तनाव कम होता है और जोड़ों में दर्द से राहत मिलती है। यह प्रक्रिया रक्त संचार को बढ़ावा देती है और शरीर की प्राकृतिक हीलिंग को भी प्रोत्साहित करती है।
वहीं गर्म पानी में मौजूद खनिज तत्व शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में भी सहायक होते हैं। जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गर्म कुंड के पानी का नियमित उपयोग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है।
इस प्रकार राजगीर के गर्म कुंड न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
राजगीर के गर्म कुंड झरनों की बात करें तो ब्रह्मकुंड, सप्तकुंड और अन्य कई प्रमुख झरने यहाँ स्थित हैं। जिनकी अपनी-अपनी विशेषताएँ और उनसे जुड़ी कहानियाँ हैं।
ब्रह्मकुंड: राजगीर के सबसे प्रसिद्ध गर्म कुंड झरनों में से एक है ब्रह्मकुंड। यह झरना अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसके जल में स्नान करने से अनेक रोगों का निवारण होता है।
ब्रह्मकुंड से जुड़ी एक प्रमुख कथा यह है कि यह झरना स्वयं भगवान ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न किया गया था, जिससे इसकी पवित्रता और महत्व और भी बढ़ जाता है।
सप्तकुंड: सप्तकुंड, राजगीर के अन्य प्रमुख झरनों में से एक है। इस झरने का नाम सप्तकुंड इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ सात कुंड एक सीध में स्थित हैं। प्रत्येक कुंड का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
मान्यता है कि इन कुंडों में स्नान करने से व्यक्ति के सात प्रकार के पापों का नाश होता है। सप्तकुंड से जुड़ी एक और कथा के अनुसार, यह कुंड सप्तऋषियों द्वारा स्थापित किए गए थे, जिनके नाम पर इसे सप्तकुंड कहा गया।
अन्य झरने: इसके अलावा, राजगीर में अन्य कई गर्म कुंड झरने भी हैं, जैसे सूर्यकुंड, वृषभकुंड, और गंगाकुंड। प्रत्येक झरने की अपनी विशेषता और महत्व है।
सूर्यकुंड का जल सूर्य देवता को समर्पित है और माना जाता है कि इसके जल में स्नान करने से अनेक प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियाँ ठीक होती हैं।
वृषभकुंड का जल वृषभ (बैल) की आकृति का है, और इसे शिवजी के वाहन नंदी से जोड़कर देखा जाता है।
इन झरनों की कहानियाँ और उनकी पवित्रता राजगीर को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं। इन झरनों का जल न केवल शारीरिक रोगों का निवारण करता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है।
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