राजगीर नौलखा मंदिर लूट कांड का सनसनीखेज खुलासाः पुजारी का बेटा और भतीजा समेत 5 गिरफ्तार
हथियार, नकदी, मोबाइल और घटना में प्रयुक्त सामान समेत गिरफ्तार। मंदिर के अंदर की साजिश से लोग सन्न। यह घटना न सिर्फ एक संगीन आपराधिक मामला है, बल्कि मंदिर और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। अब देखना है कि मंदिर प्रशासन और पुलिस मिलकर ऐसी घटनाओं को दोहराने से रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं...

राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर के ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण श्री जैन श्वेताम्बर धर्मशाला परिसर (नौलखा मंदिर) में 19 मई की रात हुई सनसनीखेज लूटकांड का खुलासा राजगीर पुलिस ने मात्र छह घंटे में कर दिया है। इस भीषण कांड में शामिल पांच अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ पुलिस ने लूटे गए ₹8,05,090 नगद, एक देसी पिस्तौल, 13 जिंदा कारतूस, घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल, लोहे का दबिया, मोबाइल फोन और अपराधियों द्वारा पहने गए कपड़े भी बरामद किए हैं।

लेकिन इस लूटकांड की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसके पीछे मंदिर से जुड़े ही लोग निकले। गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों में मंदिर के मुख्य पुजारी सिधेश्वर तिवारी का पुत्र वीनीत कुमार और उनके भतीजे परमीत तिवारी का नाम सामने आना समाज और श्रद्धालुओं को स्तब्ध कर गया है।
गिरफ्तार 5 आरोपियों में परमीत तिवारी (पूरी गांव निवासी, स्वर्गीय अखिलेश्वर तिवारी का पुत्र एवं मुख्य पुजारी का भतीजा), वीनीत कुमार (मुख्य पुजारी सिधेश्वर तिवारी का पुत्र), बचन उपाध्याय (राजगीर के उपाध्याय टोला निवासी, धर्मशाला का सहायक सुपरवाइजर), कन्हैया कुमार (नवादा जिले के वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के अपसढ़ गांव का निवासी) एवं हीरा कुमार (कन्हैया के साथ ही अपसढ़ गांव का निवासी) शामिल है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार यह लूट एक पूर्व नियोजित और गहरी साजिश थी, जिसमें मंदिर की आंतरिक गतिविधियों की पूरी जानकारी रखने वाले लोगों की संलिप्तता थी। यही कारण है कि अपराधियों ने दान पेटी की सीधी पहचान की, परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों को चकमा दिया और सुरक्षा कर्मियों को बंधक बनाकर बड़ी आसानी से घटना को अंजाम दे दिया।
घटना के दौरान नाइट गार्ड को बुरी तरह पीटकर घायल कर दिया गया था, जिसे तत्काल अनुमंडलीय अस्पताल भेजा गया और फिर बेहतर इलाज के लिए पटना के रूबन हॉस्पिटल रेफर किया गया। उसकी हालत अभी स्थिर बताई जा रही है।
इस पूरे ऑपरेशन में राजगीर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सुनील कुमार सिंह के नेतृत्व में कई थानों की पुलिस टीमों ने संयुक्त रूप से कार्य किया। अंचल निरीक्षक संजय कुमार, गिरियक के मनीष भारद्वाज, राजगीर थानाध्यक्ष रमन कुमार, आसूचना इकाई प्रभारी आलोक कुमार समेत जिले के विभिन्न थानों के थानाध्यक्षों और सशस्त्र बलों ने बारीकी से जांच की और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर तेजी से कार्रवाई करते हुए मात्र छह घंटे में इस गुत्थी को सुलझा दिया।
नालंदा के पुलिस अधीक्षक भारत सोनी ने प्रेस को बताया कि घटना की जानकारी रात 2:30 बजे मिली, जिसके तुरंत बाद एक्शन लेते हुए पूरी टीम को सक्रिय किया गया। स्थानीय सूत्रों, सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी निगरानी के सहारे अपराधियों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार कर घटना का खुलासा किया गया।
इस घटना के बाद श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। मंदिर प्रशासन और धर्मशाला ट्रस्ट को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मंदिर के अंदर से ही लूट की साजिश का उजागर होना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि धार्मिक विश्वास को भी गहरी चोट पहुंचाता है।
पुलिस सूत्रों का मानना है कि इस लूटकांड में और भी लोगों की संलिप्तता हो सकती है। जांच की प्रक्रिया अभी जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे संभव हैं।









