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नालंदा DPO की ऐसी मनमानी से शिक्षकों में उबाल, ACS सिद्धार्थ तक पहुंचा मामला

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Teachers are angry due to such arbitrariness of Nalanda DPO, the matter reached ACS Siddharth
Teachers are angry due to such arbitrariness of Nalanda DPO, the matter reached ACS Siddharth

शिक्षकों का कहना है कि वे अपने सम्मान और अधिकार की रक्षा के लिए संगठित होकर लड़ाई लड़ेंगे। अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग इस विवाद को कैसे हल करता है

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के शिक्षा विभाग में गुरुवार को एक अजीबोगरीब घटना ने शिक्षकों में आक्रोश का माहौल बना दिया। जिला शिक्षा कार्यालय के डीआरसीसी भवन में प्रधान शिक्षक की परीक्षा में सफल शिक्षकों की काउंसलिंग चल रही थी। लेकिन नूरसराय प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय पारसी के शिक्षक क्रांति कुमार की काउंसलिंग बिना किसी स्पष्ट कारण के रोक दी गई।

शिक्षक क्रांति कुमार काउंसलिंग के लिए अपने सभी आवश्यक दस्तावेज लेकर पहुंचे थे। जब उनकी बारी आई तो काउंटर पर मौजूद कर्मी बब्लू कुमार रजक ने उन्हें सूचित किया कि उनके काउंसलिंग पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश डीपीओ स्थापना द्वारा दिया गया था। शिक्षक ने जब इस रोक का कारण पूछा तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

क्रांति कुमार का कहना है कि उनके पास सभी वैध दस्तावेज थे और वे निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि डीपीओ स्थापना ने उन्हें दुर्भावना के तहत निशाना बनाया और जानबूझकर परेशान किया। इस घटना की लिखित शिकायत उन्होंने जिलाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपी है।

इस घटना के बाद बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संघ के जिला प्रभारी रीतेश कुमार ने इसे अवैधानिक और दुर्भावनापूर्ण कार्य करार दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक शिक्षक को प्रताड़ित करने का नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाला है।

जिलाध्यक्ष सूर्यकांत सिंह कांत ने कहा कि बिना स्पष्ट कारण मौखिक रूप से काउंसलिंग रोकना डीपीओ की मंशा को संदिग्ध बनाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं हुई तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

घटना पर जिला शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। डीपीओ स्थापना से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने चुप्पी साध रखी है।

शिक्षक संघ ने इस मामले को मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) तक ले जाने की बात कही है। यदि प्रशासन इस पर त्वरित कार्रवाई नहीं करता तो यह मामला बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है।

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