“यह गाइडलाइन भूमि सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल भूमि विवादों का समाधान होगा, बल्कि समाज के कमजोर और भूमिहीन वर्गों को न्याय और अधिकार दिलाने में भी मदद मिलेगी…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में भूमि सुधार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने गैरमजरूआ जमीन से जुड़े मामलों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। यह गाइडलाइन खासतौर पर उन भूमिहीन रैयतों और कब्जाधारियों के लिए राहत लेकर आई है, जिनके पास अपने स्वामित्व को साबित करने के लिए कागजी दस्तावेज़ नहीं हैं या जो समय के साथ नष्ट हो गए हैं।
नई गाइडलाइन के अनुसार यदि किसी रैयत के पास 1 जनवरी 1946 से पहले का हुकूमनामा है और उसी आधार पर रसीदें कट रही हैं तो इसे स्वामित्व निर्धारण के लिए वैध माना जाएगा। जिनके पास जमींदारी रिटर्न उपलब्ध नहीं है, उन्हें भी इस प्रक्रिया का लाभ मिलेगा।
जिन रैयतों के पास गैरमजरूआ जमीन की बंदोबस्ती से जुड़े कागजात अनुपलब्ध हैं, उनके लिए अंचल स्तरीय अभिलेखों के आधार पर खतियान का निर्माण किया जाएगा।
यदि गैरमजरूआ जमीन पर किसी रैयत का शांतिपूर्ण कब्जा है और उस पर मकान मौजूद है तो अंचलाधिकारी जांच कर रिपोर्ट देंगे। सत्यापन के बाद ऐसे रैयतों का नाम खेसरा पंजी में दर्ज किया जाएगा।
भूमिहीन रैयत जिनका मकान रैयती भूमि पर स्थित है। उन्हें बीपीपीएचटी एक्ट के तहत वासगीत पर्चा दिया जाएगा। इसके बाद दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी कर जमाबंदी बनाई जाएगी और उनका नाम खेसरा पंजी में दर्ज किया जाएगा।
अंचलाधिकारी (सीओ) संबंधित जमीन पर कब्जा, मकान और अन्य प्रमाणों की जांच करेंगे। इस प्रक्रिया में विविध वाद पंजी, जमाबंदी पंजी, ऑपरेशन दखलदेहानी प्रपत्र आदि दस्तावेजों का उपयोग किया जाएगा। सत्यापन के बाद रैयतों के नाम और भूमि का विवरण सरकारी अभिलेखों में जोड़ा जाएगा।
यह गाइडलाइन न केवल भूमिहीन रैयतों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी मददगार साबित होगी जो रैयती भूमि पर शांतिपूर्ण कब्जे में हैं। ऐसे लोग जो कानूनी कागजातों के अभाव में अपने अधिकारों से वंचित रह जाते थे। अब इस नई प्रक्रिया से लाभान्वित होंगे।
इस कदम का उद्देश्य जमीन से जुड़े विवादों को कम करना, पारदर्शिता लाना और भूमिहीन लोगों को स्थायी रूप से जमीन पर अधिकार देना है। राजस्व विभाग का मानना है कि इस गाइडलाइन से भूमि स्वामित्व का मुद्दा सुलझेगा और समाज के कमजोर वर्गों को न्याय मिलेगा।
भूमि विशेषज्ञों का कहना है कि यह गाइडलाइन न केवल भूमिहीनों को न्याय दिलाने में मदद करेगी बल्कि गैरमजरूआ जमीन से जुड़े विवादों को भी समाप्त करेगी। इससे बिहार में भूमि सुधार की प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और जमीन का रिकॉर्ड अधिक व्यवस्थित होगा।
नई गाइडलाइन के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पुराने कागजातों की अनुपस्थिति में भी स्वामित्व का निर्धारण संभव है। बशर्ते रैयतों का शांतिपूर्ण कब्जा और अन्य साक्ष्य मौजूद हों।
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