नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के थरथरी प्रखंड में पिछले पांच वर्षों के दौरान विकास योजनाओं में मुखियाओं ने अफसरों की मिलिभगत से विकास योजनाओं में जमकर लूटपाट की।
सीएम सात निश्चय योजना की जल नल योजना और नली-गली योजना का बेड़ा गर्क ही कर डाला। इसका नतीजा सामने है। मतदाताओं ने सबक सिखाया। यहाँ तक कि जिला परिषद सदस्य भी चुनाव हार गए।
विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के मुख्य किरदार सात मुखिया में पाँच मुखिया धूल चाट गए। बाकी दो जीत गए, इसलिए नहीं कि वे अन्य से इतर थे। बल्कि कारगर अंदरुनी चुनावी हथकंडे के बल ही जीत पाए। जैतपुर और अस्ता पंचायत के मुखिया दोबारा जीत पाए।
जैतपुर पंचायत के मुखिया सुदामा मांझी ने निकटतम प्रतिद्वंदी सुनील चौधरी को 324 मतों से पराजित किया।
कचहरीया पंचायत से शैलेन्द्र प्रसाद यादव ने वर्तमान मुखिया सुनील कुमार उर्फ पप्पू को 717 मतों से हराया।
थरथरी पंचायत में भी बदलाव हो गया। यहां कुमारी अनिता सिन्हा ने वर्तमान मुखिया इंदु देवी को पराजित कर दिया।
अस्ता पंचायत में मुखिया अंजू देवी ने निकटतम प्रतिद्वंदी राजमणि देवी को पराजित किया। छरियारी पंचायत से अरूण कुमार ने मुखिया राजदेव प्रसाद को पराजित कर दिया।
अमेरा पंचायत से लाखो देवी ने मुखिया इन्द्र देव दास को हरा दिया। जबकि नारायणपुर पंचायत से रमेश राम ने मुखिया अजय राम को 500 मतों से पराजित किया।
जिला पार्षद कपिल प्रसाद भी चुनाव हार गए। अमित कुमार राज उर्फ तरुण यादव ने उन्हें 2300 वोट से चुनाव चुनाव हराया। इनके निकटतम प्रतिद्वंदी रवि रौशन रहे।
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