नगरनौसा ( नालंदा दर्पण )।सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के नगरनौसा प्रखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन समाप्त हो चुका है। प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए अपने पंचायत के गांव गलियों की खाक छान रही रहें हैं।
कुछ पांच साल की उपलब्धियों के साथ फिर से चुनाव मैदान में हैं। भले ही वह अपने कार्यों का जितना बखान कर लें तस्वीरें ज़मीनी हकीकत दिखा ही देती है। कुछ यही हुआ है नगरनौसा के कैला पंचायत के वार्ड संख्या 12-13 में।
पंचायत के मुखिया के फाइल में भले ही चकाचक काम हुआ है लेकिन जनता और तस्वीरें झूठ नहीं बोलती है।
बताया जाता है कि इस पंचायत में करोड़ों रुपए पंचायत के मुखिया अरुण कुमार के द्वारा विकास कार्यों पर खर्च किया जा चुका है।जिसकी चर्चा वह जनता से कर रहे हैं। उसी आधार पर फिर से चुनाव मैदान में आएं हुए हैं।
लेकिन जब नालंदा दर्पण ने उनकी हकीकत जानने वार्ड संख्या 12-13 में पहुंचीं तो हकीकत कुछ और दिख रही थी। मुखिया के कार्यों की पोल उनकी ही जनता खोल रही थी।
नाम नहीं छापने की शर्त पर कई ग्रामीणों ने बताया कि वार्ड नंबर 12 13 में विकास के नाम पर एक भी कार्य नहीं किया गया ना तो नाली और ना ही गली का निर्माण किया गया। ईंट सोलिंग पहले के मुुुुखिया के द्वारा किया गया था।
ग्रामीणों ने बताया कि इस बार कैला पंचायत के मुखिया अरुण कुमार ने हम लोगों को आश्वासन दिया था कि चुनाव जीतते ही गली गली ढलाई का कार्य सर्वप्रथम करूंगा, लेकिन अभी तक एक गिट्टी भी बिछाया नहीं।
अब ऐसे में सवाल उठाना लाजिम है कि नगरनौसा प्रखंड के कैला पंचायत में विकास कार्यों के लिए सबसे ज्यादा राशि का भुगतान किया गया और उन राशियों का निकासी भी हुआ। लेकिन उन विकास कार्यों का खुला पोल खोल रहा है। महमदपुर गांव का वार्ड नंबर 12 -13।
महमदपुर गांव राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और हरनौत से विधायक हरिनारायण सिंह का पैतृक गांव है। लेकिन उन्हीं के गांव के वार्ड संख्या 12-13 में विकास की नाली भी बह नहीं सकी।
विधायक के गांव का यह वार्ड महादलित टोले की है। लेकिन यहां की तस्वीर पांच साल में न मुखिया बदल सकें और न विधायक।
ऐसे में गांव वाले मन में ठान लिए हैं कि अगर मुखिया वोट मांगने आएं तो उन्होंने मैथिली गाने के बोल सुना रहे हैं,” मुखिया जी वोट मांगे अबु तो झाड़ू से मारबो’।
अब ऐसे में यहीं कहा जा सकता है जब करोड़ों का विकास का राग मुखिया जप रहे हैं तो फिर वार्ड संख्या 12-13 के लोगों को इसका लाभ कागज पर क्यों दिख रहा है।
ज़बाब न मुखिया के उम्मीदवार के पास है और न क्षेत्र के विधायक के पास। कागजों पर पंचायत में करोड़ों फूंक दिए। मतदाता चुनाव की तिथि का इंतजार कर रहे हैं।