
चंडी (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले की मुहाने नदी कभी सालभर पानी से लबालब रहती थी। लेकिन अब वह खुद सूखे की चपेट में है। पिछले कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के बावजूद इस नदी में पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंच रही है। जिससे चंडी, हरनौत, एकंगरसराय, रहुई, हिलसा समेत आठ प्रखंडों के किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। यह नदी इन क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई का प्रमुख स्रोत रही है। लेकिन अब इसके सूखेपन ने करीब 800 वर्ग किलोमीटर भूमि और 11 लाख 62 हजार से अधिक की आबादी को प्रभावित किया है।
मुहाने नदी के जलस्तर में लगातार कमी ने स्थानीय किसानों के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है। चंडी के किसान राम प्रसाद बताते हैं कि पहले इस नदी का पानी हमारे खेतों की जान थी। अब नदी सूखी पड़ी है और बिना सिंचाई के फसलें बर्बाद हो रही हैं। नदी में पानी की कमी से धान, गेहूं और अन्य फसलों की पैदावार पर बुरा असर पड़ रहा है। जिससे किसानों की आजीविका खतरे में है।
इस समस्या को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता उपेंद्र प्रसाद सिंह ने सक्रियता दिखाई। उन्होंने प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की थी कि फल्गु नदी से जुड़ी मुहाने नदी का बंद मुंह खोला जाए। ताकि इसमें बारहमासी जल प्रवाह सुनिश्चित हो सके।
उपेंद्र ने अपने पत्र में यह भी आग्रह किया था कि फल्गु नदी के इब्राहिमपुर इलाके से मुहाने नदी में जल प्रवाह को बहाल किया जाए। उनकी इस पहल का सकारात्मक परिणाम सामने आया है।
उन्होंने बताया कि बाढ़ कार्यपालक अभियंता, नियंत्रण एवं जल निस्सरण प्रमंडल, एकंगरसराय ने 23 जनवरी को सूचित किया है कि फल्गु नदी से मुहाने नदी का मुंह खोलने के लिए 0.00 किलोमीटर से 12.50 किलोमीटर तक का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर लिया गया है।
यह डीपीआर सिचाई प्रमंडल उदेरा स्थान द्वारा स्वीकृति के लिए जल संसाधन विभाग को समर्पित किया गया है। इस परियोजना के तहत नदी के मुहाने को खोलने और जल प्रवाह को बहाल करने की योजना है। जिससे नदी में फिर से पानी की धारा बह सके।
मुहाने नदी के जलस्तर में कमी का असर नालंदा जिले के आठ प्रखंडों चंडी, हरनौत, एकंगरसराय, रहुई, हिलसा और अन्य पर पड़ा है। इससे लगभग 800 वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि प्रभावित हुई है, जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का आधार है।
इसके अलावा 11 लाख 62 हजार से अधिक की आबादी इस संकट से जूझ रही है। नदी के सूखने से न केवल कृषि, बल्कि स्थानीय जल आपूर्ति और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जल संसाधन विशेषज्ञों का कहना है कि मुहाने नदी का मुंह फल्गु नदी से जोड़ने की परियोजना तकनीकी रूप से संभव है। लेकिन इसके लिए समयबद्ध कार्ययोजना और पर्याप्त बजट की आवश्यकता है।
पर्यावरणविद् डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि नदी के जल प्रवाह को बहाल करने से न केवल सिंचाई की समस्या हल होगी, बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार होगा। यह परियोजना स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जनन में भी मददगार साबित होगी।
बहरहाल डीपीआर के तैयार होने से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है। उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि यह पहल नालंदा के किसानों और आम लोगों के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि डीपीआर को जल्द स्वीकृति दी जाए और परियोजना पर काम शुरू हो।