Home खोज-खबर नालंदा में भू-लगान की गति धीमी, अब तक महज 10.73% वसूली

नालंदा में भू-लगान की गति धीमी, अब तक महज 10.73% वसूली

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The pace of land revenue collection in Nalanda is slow, only 10.73% has been collected so far
The pace of land revenue collection in Nalanda is slow, only 10.73% has been collected so far

बिहार सरकार ने भू-लगान वसूली की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन किसानों की जागरूकता और ऑनलाइन प्रणाली के प्रति उनकी एवं विभागीय निष्क्रियता वसूली में रुकावट पैदा कर रही है

बिहाशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में भू-लगान वसूली की रफ्तार बेहद धीमी है, जिससे वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति मुश्किल नजर आ रही है। अब तक सिर्फ 32 लाख 14 हजार 30 रुपये की भू-लगान वसूली हो पाई है। जो कि कुल लक्ष्य का महज 10.73 प्रतिशत है।

बता दें कि यह स्थिति तब है, जब बिहार सरकार ने ऑनलाइन भू-लगान प्रक्रिया को प्रभावी रूप से लागू किया है। जिससे किसानों को अपनी जमीन का लगान जमा करने में काफी आसानी होनी चाहिए थी। सरकार ने वर्ष 2018 में किसानों के लिए भू-लगान वसूली प्रक्रिया को ऑनलाइन किया। जिससे किसान अपने मोबाइल, कंप्यूटर या साइबर कैफे के माध्यम से घर बैठे अपना लगान जमा कर सकते हैं।

इस प्रणाली ने न केवल समय बचाने का मौका दिया है, बल्कि यह पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुविधाजनक भी बनाया है। फिर भी किसानों में भू-लगान के प्रति जागरूकता की कमी दिखाई दे रही है। जिससे राजस्व वसूली में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

पिछले छह वर्षों में भू-लगान वसूली में गिरावट आई है, जो विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस वित्तीय वर्ष में करीब 30 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन अब तक केवल 10.73 प्रतिशत राशि ही जमा हो पाई है। यदि शेष पांच महीनों में यह गति नहीं बढ़ती तो लक्ष्य की प्राप्ति बेहद कठिन हो जाएगी।

गौरतलब है कि कई किसान तब ही भू-लगान रसीद कटाते हैं जब उन्हें किसी योजना का लाभ लेने के लिए भूमि का लगान रसीद की आवश्यकता होती है। यही वजह है कि अधिकांश किसान इस काम में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे लक्ष्य को पूरा करने में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। साथ ही किसानों की जमीन की लगान राशि पिछले दस वर्षों से नहीं बढ़ाई गई है, जो किसानों के मनोबल पर असर डाल रही है।

अधिकारियों का कहना है कि पहले किसानों को भू-लगान रसीद कटाने के लिए राजस्व कर्मचारियों से संपर्क करना पड़ता था, जो हमेशा किसान के लिए एक कठिन काम होता था। अब ऑनलाइन प्रक्रिया से यह समस्या समाप्त हो गई है। लेकिन किसानों का लगान वसूली के प्रति असंवेदनशील रुख राजस्व विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।

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