जर्जर स्कूल की छत गिरी, हेडमास्टर जख्मी, खतरे में बच्चों की जान
जर्जर स्कूल की छत गिरी, हेडमास्टर जख्मी, खतरे में बच्चों की जान

चंडी (नालंदा दर्पण)। चंडी प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय माधोपुर डीह में एक भयावह घटना सामने आई है, जहाँ जर्जर स्कूल भवन की छत का हिस्सा अचानक भरभराकर गिर गया। इस हादसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना न केवल स्कूल की बदहाल स्थिति को उजागर करती है, बल्कि बच्चों और शिक्षकों की जान को लगातार खतरे में डालने वाली व्यवस्थागत लापरवाही की ओर भी इशारा करती है।
यह घटना उस समय हुई, जब प्रधानाध्यापक अपने कार्यालय में आवश्यक कार्य कर रहे थे। अचानक छत का प्लास्टर उनके सिर और बाँह पर गिर गया, जिससे वे घायल हो गए। उन्हें तुरंत नजदीकी रेफरल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
बताया जाता है कि कोरोना काल के दौरान भवन की खराब स्थिति को देखते हुए विद्यालय को अस्थायी रूप से माधोपुर उच्च विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। लगभग दो वर्षों तक बच्चों की कक्षाएँ वहाँ संचालित की गईं। बाद में भवन की मामूली मरम्मत के बाद इसे फिर से उपयोग में लाया गया।
शिक्षिका शोभा कुमारी कहती हैं, “हम आज भी मौत के साये में बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं। छत की हालत इतनी खराब है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यहाँ सुरक्षा के लिए बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाना पड़ता है, जो अपने आप में एक दुखद स्थिति को दर्शाता है।”
विद्यालय के शिक्षक अरुण कुमार बताते हैं, “वर्ष 2024 की आमसभा में भवन निर्माण के लिए 11 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी। लेकिन ठेकेदार ने इस राशि को अपर्याप्त बताकर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया।”
परिणामस्वरूप, शिक्षक और बच्चे आज भी एक खतरनाक भवन में अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई न की गई, तो भविष्य में और बड़ा हादसा हो सकता है।
स्थानीय अभिभावकों और शिक्षकों में इस घटना के बाद से भय और आक्रोश है। एक अभिभावक ने कहा, “हम अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वे पढ़ें, न कि अपनी जान जोखिम में डालें।”
शिक्षकों ने भी प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ वाड़ को भी दर्शाती है।
बहरहाल, यह घटना एक चेतावनी है कि यदि समय रहते भवन का निर्माण या मरम्मत नहीं की गई तो भविष्य में और गंभीर दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। नए भवन के निर्माण के लिए पर्याप्त राशि आवंटित करने, ठेकेदार की जवाबदेही सुनिश्चित करने और बच्चों के लिए सुरक्षित अस्थायी व्यवस्था करने की आवश्यकता है।









