नालंदा दर्पण डेस्क। भारत सरकार ने देश के कई हिस्सों में वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म शुरू किया है। लेकिन उसकी धमक अबतक राजगीर तक नहीं पहुंच सकी है। पर्यटन के क्षेत्र में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त है, लेकिन वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म का दर्जा इसे नहीं मिला है।
ऐसे में वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म की सुविधा बहाल हो जाए तो पूरे वर्ष यहां वेडिंग टूरिज्म की भी भीड़ बढ़ सकती है। उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, उतराखंड आदि स्थलों पर वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म काफी सफल रहा है।
ऐसे में राजगीर जैसे प्राकृतिक सौंदर्य, विरासत, पुरातात्विक महत्व के स्थान को वेडिंग टूरिज्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां बड़ी संख्या में लोगों के विवाह के लिए पहुंचने का कारण सनातन धर्मावलंबियों की आदि भूमि होना बताया जाता है।
कहते हैं कि इस नगर को भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु द्वारा बसाया गया है। 22 कुंड और 52 धाराओं के लिए मशहूर यह ऐतिहासिक नगरी युग पुरुष, संत और महात्माओं की तपस्थली और ज्ञानस्थली रही है।
यही कारण है कि तपोभूमि और ईश्वर के निवास स्थल के रूप में विख्यात राजगीर को लोग सफल वैवाहिक जीवन की कामना लिए विवाह स्थल के रूप में चुनते हैं। फिलहाल देश में, जो भी वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म के लिए पसंदीदा है, वहां प्रकृति मूल स्वरूप में हैं।
राजगीर का प्राकृतिक सौंदर्य न केवल देशी, बल्कि विदेशियों को भी आकर्षित करता है। इस तरह की अवधारणा से पर्यटन व्यवसाय को भी काफी सफलता मिल सकती है।
गर्मी के दिनों में यहाँ कम पर्यटक आते हैं। ऐसे में वेडिंग डेस्टिनेशन टूरिज्म की सुविधा होने से यहां पर्यटकों की भीड़ सालों रहेगी।
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