ग्रामीणों ने लोकायन नदी के तटबंध मरम्मत कार्य को रुकवाया

हिलसा (नालंदा दर्पण)। झारखंड में भारी बारिश के कारण फल्गु नदी में अचानक जल स्तर बढ़ने से हिलसा अनुमंडल के एकंगरसराय, हिलसा और करायपरसुराय प्रखंडों के आधा दर्जन पंचायतों से होकर गुजरने वाली लोकायन नदी में बाढ़ आ गई। इस बाढ़ के कारण नदी के कई तटबंध टूट गए। जिससे कई गांवों में पानी भर गया।
प्रभावित क्षेत्रों में एकंगरसराय प्रखंड के केशोपुर और बेलदारी बिगहा, हिलसा प्रखंड के धुरी बिगहा और आंकोपुर तथा करायपरसुराय प्रखंड के कमरथू गांव के पास तटबंधों में बड़े पैमाने पर क्षति हुई। इसके अलावा हसनपुर गांव के पास मछली तालाब के निकट तीन स्थानों पर कोणीयापर, मुर्गिया चक और बडकी घोषी जैसे क्षेत्रों में भी छोटे-छोटे तटबंध टूट गए।
बता दें कि 20 जून को अचानक आई बाढ़ ने करायपरसुराय प्रखंड के कमरथू गांव के पास लोकायन नदी के तटबंध को लगभग 65 फीट तक तोड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप मकरौता पंचायत के कमरथू, मुसाढ़ी, फतेहपुर, रूपसपुर, और सदरपुर मकरौता दिरीपर जैसे क्षेत्रों में बाढ़ का पानी खेतों में घुस गया। इससे गर्मा धान और मक्का की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
अनुमंडल प्रशासन के निर्देश पर जल संसाधन विभाग द्वारा टूटे तटबंधों की मरम्मत का कार्य शुरू किया गया। हालांकि करायपरसुराय प्रखंड के कमरथू गांव के पास मरम्मत कार्य की धीमी गति और मिट्टी के बजाय बालू से भरे बोरे इस्तेमाल करने को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। दर्जनों ग्रामीणों ने मरम्मत स्थल पर पहुंचकर नारेबाजी की और कार्य को रुकवा दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि बालू से भरे बोरे तटबंध को कमजोर कर सकते हैं। जिससे भविष्य में बाढ़ की स्थिति में और तबाही मच सकती है। ग्रामीणों ने मांग की कि मरम्मत कार्य में मिट्टी से भरे बोरे का उपयोग किया जाए और कार्य को तेजी से पूरा किया जाए।
जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता (जेई) नवलेश कुमार ने बताया कि बालू से भरे बोरों का उपयोग केवल प्रारंभिक निर्माण के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बालू के बोरे से तटबंध को बांधकर निर्माण तैयार होने के बाद दोनों तरफ मिट्टी डाली जाएगी।
उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे पहले निर्माण कार्य पूरा होने दें। इसके बाद मिट्टी से तटबंध को मजबूत किया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल भी लोकायन नदी के उफान के कारण हिलसा प्रखंड के धुरी बिगहा, छक्कन टोला और कुसेटा गढ़ पर तटबंध टूट गए थे। जिससे दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया था।
इस बार ग्रामीणों का कहना है कि यदि मरम्मत कार्य में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
ग्रामीणों ने मरम्मत कार्य को रोककर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक मिट्टी से भरे बोरे का उपयोग नहीं किया जाएगा और कार्य की गति नहीं बढ़ेगी, वे विरोध जारी रखेंगे।
बहरहाल, इस घटना ने स्थानीय प्रशासन के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। क्योंकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति को सामान्य करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।