
राजगीर (नालंदा दर्पण)। ह्वेनसांग विश्वविद्यालय ताइवान (World Education) के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय नालंदा का दौरा किया गया। इस दौरान दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान के मुद्दे पर प्रारंभिक बातचीत हुई और एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।
ताइवान के ह्वेनसांग विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रो. शाओ छिर छन, अध्यक्ष, ह्वेनसांग विश्वविद्यालय ने किया। उनके साथ सुमन ताई, निदेशक, छात्र कल्याण विभाग और तींग चांग लाई भी थे।
इस अवसर पर ह्वेनसांग विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों ने वहां की अकादमिक गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग करने का आश्वासन दिया।
नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय नालंदा के कुलपति प्रो राजेश रंजन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नव नालंदा महाविहार की अकादमिक गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस प्रकार के परस्पर सहयोग को दोनों विश्वविद्यालयों के हित में बताते हुए इस समझौते को आगे ले जाने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया।
दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान के समझौता पत्र पर ह्वेनसांग विश्वविद्यालय की ओर से शाओ छिर छन और नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो राजेश रंजन द्वारा हस्ताक्षर किया गया।
बता दें कि जिस तरह नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय की ख्याति एशिया महादेश में है, उसी तरह ह्वेनसांग विश्वविद्यालय, ताइवान का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। यह प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग के नाम पर बनाया गया है।
श्री महाविहार की स्मृति में नव नालंदा महाविहार की स्थापना 1951 में देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद और भिक्षु जगदीश कश्यप के संयुक्त प्रयास से प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान और बौद्ध विद्या को बढ़ावा देने के लिए हुई थी।
इस समझौता कार्यक्रम के बाद ताइवान प्रतिनिधिमंडल द्वारा नव नालंदा महाविहार के ह्वेनसांग स्मृति भवन और नालंदा के विश्व धरोहर और प्राचीन अवशेषों का भ्रमण किया गया।
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