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30 सितंबर तक बिहारशरीफ बन जाएगा स्मार्ट सिटी, जानें डिटेल

कुछ प्रमुख परियोजनाएं जैसे बाजार समिति परिसर, मणिराम अखाड़ा तालाब सौंदर्यीकरण, बिहार क्लब परिसर अब पूर्णता के करीब हैं और इनके हैंड ओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अतिरिक्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड को पहले ही सफलतापूर्वक हैंड ओवर कर दिया गया है...

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ शहर अब स्मार्ट सिटी की दिशा में निर्णायक दौर में पहुंच चुका है। शहर को एक नए स्वरूप में ढालने के लिए चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अब समय बेहद कम बचा है। इसी को ध्यान में रखते हुए नगर प्रशासन और संबंधित एजेंसियों ने कार्य में तेजी ला दी है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत नाला रोड, फ्लाईओवर और सीवरेज जैसी प्रमुख योजनाओं पर दिन-रात काम चल रहा है।

Bihar Sharif will become a smart city by 30 September, know the details
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स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एमडी दीपक कुमार मिश्रा ने बताया कि सभी कार्यों को समय सीमा के भीतर यानि 30 सितंबर 2025 तक पूरा करना है। इसके लिए अधिकारियों और एजेंसियों को युद्ध स्तर पर कार्य करने का निर्देश दिया गया है। हाल ही में परियोजना की प्रगति की समीक्षा के लिए संबंधित एजेंसियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की गई, जिसमें कई निर्देश जारी किए गए।

एमडी मिश्रा ने स्पष्ट किया कि हालांकि अधिकांश योजनाएं अंतिम चरण में हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ अब भी सामने आ रही हैं। उदाहरण के लिए सीवरेज योजना की कुछ मेन लाइन पर अभी कार्य चल रहा है। जबकि एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण पूरा कर लिया गया है और जल्द ही इसका ट्रायल शुरू किया जाएगा।

नाला रोड जैसे महत्वपूर्ण स्थल पर 24×7 काम करने के निर्देश दिए गए हैं। मिश्रा ने बताया कि  समय सीमा के बाद किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार नहीं की जाएगी और परियोजनाओं को फाइनल हैंडओवर की प्रक्रिया में लाया जाएगा।

कुछ प्रमुख परियोजनाएं जैसे बाजार समिति परिसर, मणिराम अखाड़ा तालाब सौंदर्यीकरण, बिहार क्लब परिसर अब पूर्णता के करीब हैं और इनके हैंड ओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अतिरिक्त रामचंद्रपुर बस स्टैंड को पहले ही सफलतापूर्वक हैंड ओवर कर दिया गया है।

वहीं ई-लाइब्रेरी को जिला प्रशासन को सौंपे जाने की प्रक्रिया भी विचाराधीन है, जिसमें डीएम के साथ मंथन चल रहा है। प्रशासन का स्पष्ट मानना है कि जब तक योजनाएं निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरी नहीं होतीं, तब तक उनकी गुणवत्ता और कार्यक्षमता पर निरंतर निगरानी बनी रहेगी।

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