
शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी का यह कदम देश के शिक्षा तंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगा, बल्कि स्कूल बोर्डों के बीच समन्वय और एकरूपता को भी बढ़ावा देगा।
नालंदा दर्पण डेस्क। देश भर के छात्रों और अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब चाहे आपने किसी भी स्कूल शिक्षा बोर्ड जैसे सीबीएसई, आईसीएसई या किसी राज्य बोर्ड से 10वीं या 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो, आपकी मार्कशीट को उच्च शिक्षा में दाखिले और सरकारी नौकरियों में समान रूप से मान्यता प्राप्त होगी। इस महत्वपूर्ण बदलाव को लागू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को सौंपी गई है।
शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया है कि एनसीईआरटी अब विभिन्न स्कूल शिक्षा बोर्डों द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियों की समतुल्यता तय करेगा। पहले यह कार्य भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के जिम्मे था, लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत एनसीईआरटी अपने राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र ‘परख’ के माध्यम से इस प्रक्रिया को अंजाम देगा।
‘परख’ केंद्र इस नई व्यवस्था का मुख्य आधार होगा। यह केंद्र अकादमिक रूप से कठोर और निष्पक्ष प्रक्रिया के जरिए सभी स्कूल बोर्डों की डिग्रियों की समतुल्यता सुनिश्चित करेगा। इसका प्रमुख उद्देश्य यह है कि देश के हर कोने से आने वाले छात्रों को उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर समान अवसर प्राप्त हों। चाहे कोई छात्र ग्रामीण क्षेत्र के किसी राज्य बोर्ड से पढ़ाई करे या किसी मेट्रो शहर के सीबीएसई स्कूल से, उसकी डिग्री को अब एक समान महत्व दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस कदम से न केवल स्कूल बोर्डों के बीच समानता बढ़ेगी, बल्कि यह छात्रों के बीच आत्मविश्वास भी जगाएगा। अब किसी भी बोर्ड की मार्कशीट को लेकर होने वाली असमानता की चिंता खत्म होगी।
यह नई व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत लाए गए सुधारों का हिस्सा है। एनईपी का लक्ष्य देश की शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, लचीला और समान बनाने का है। पहले समतुल्यता का कार्य एआईयू द्वारा किया जाता था, जैसा कि 15 नवंबर 2021 की अधिसूचना में उल्लेख किया गया था। लेकिन अब इसे एनसीईआरटी को हस्तांतरित कर दिया गया है, जो इसकी नीतियों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करेगा।
एनसीईआरटी के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी छात्र को उसके बोर्ड के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े। ‘परख’ केंद्र के जरिए हम एक पारदर्शी और मानकीकृत प्रक्रिया स्थापित करेंगे, जो सभी बोर्डों की डिग्रियों को एक समान मंच पर लाएगी।
यह कदम न केवल छात्रों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव का संकेत भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे विभिन्न बोर्डों के बीच प्रतिस्पर्धा कम होगी और शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही यह कदम भारत के शिक्षा तंत्र को वैश्विक मानकों के करीब ले जाएगा।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि इस नई व्यवस्था को लागू करने में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं। जैसे कि विभिन्न बोर्डों के मूल्यांकन मानदंडों को एक समान करना। लेकिन एनसीईआरटी ने भरोसा दिलाया है कि ‘परख’ केंद्र इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘परख’ केंद्र इस नई जिम्मेदारी को कैसे लागू करता है और यह भारत के शिक्षा क्षेत्र में कितना सकारात्मक बदलाव लाता है।









