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    Thursday, December 26, 2024
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      श्रीराम कथा समापन पर उमड़ा आस्था का सैलाब, लगे जयकारे

      * प्रभु राम के नाम मात्र से रावण जैसे अत्याचारी का अंत हो जाता है और अंदर के सारे क्लेश पाप और कुविचार समाप्त हो जाते हैं। मन के रावण का अंत करें, स्वत: प्रभु राम की भक्ति मिल जाएगी...

       प्रभु राम हमारे आचरण और हमारे उत्तम विचार में अवश्य विराजमान होने चाहिए। यही उनकी सबसे बड़ी भक्ति है। उन्होंने आदर्श राजा, उत्कृष्ट भाई, श्रेष्ठ पुत्र, महान मित्र की भूमिका एक साथ निभाई तथा एक मानक स्थापित किया…

      नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। उक्त बातें नगरनौसा के पेठियापर महल्ला में आयोजित श्री राम कथा  के समापन समारोह में श्री युगल किशोर शरण जी महाराज ने कही।

      At the end of Shri Ram Katha there was an influx of faith started cheeringउन्होंने कहा कि प्रभु राम के नाम मात्र से रावण जैसे अत्याचारी का अंत हो जाता है और अंदर के सारे क्लेश पाप और कुविचार समाप्त हो जाते हैं। मन के रावण का अंत करें, स्वत: प्रभु राम की भक्ति मिल जाएगी। अन्याय पर न्याय की जीत के लिए प्रभु श्री राम ने विकट समुद्र को पार कर यह साबित कर दिया कि अन्याय और अत्याचार का हर समय विरोध करना ही मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है।

      इस कार्यक्रम के कारण माहौल भक्तिमय हो गया। इस कथा महाज्ञान यज्ञ में दूर-दराज से काफी संख्या में भक्त पहुंचे। दोपहर से देररात तक भक्ति कथाओं से श्रोता सराबोर होते रहे।

      कथावाचक ने कहा कि सत्संग के माध्यम से ही हम ईश्वर के करीब पहुंचते हैं। उन्होंने भगवान श्रीराम की मार्मिक कथाओं का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम थे।

      इस बात की जानकारी देते हुए ग्रामीण निरंजन कुमार ने कहा कि नगरनौसा के पेठियापर महल्ला में जगतमाता लक्ष्मी माता प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया था। जो 1 जुलाई दिन शुक्रवार को लक्ष्मी माता मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा को लेकर 24 घण्टे का लक्ष्मीनारायण यज्ञ शुरू हुआ।

      वहीं 2 जुलाई दीन शनिवार से संध्या 6 बजे से रात्रि 11 बजे तक प्रतिदिन श्री राम कथा का आयोजन हुआ जिसका समापन 10 जुलाई दिन रविवार हुआ। 11 जुलाई को रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम व जागरण का आयोजन किया गया है।

      इस कार्यक्रम के सफलता में कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व मुखिया सुरेश प्रसाद, डीएसपी अनुराग कुमार, कोषाध्यक्ष इंद्रजीत प्रसाद, राजकुमार बाबा, जीतू प्रसाद, भोला यादव, संजय कुमार, सुरेंद्र दानी, विकास गुप्ता, लल्लू हलवाई, रामानंद प्रसाद, कलु यादव, अशोक कुमार, लाल बाबू, रंजीत कुमार, नन्दन, सुनील, गप्पू, उपेंद्र, श्रवण, श्याम बाबू, राजीव, शशि आदि लोगों का अहम भूमिका रही।

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