“ऐसे असमाजिक-गैरकानूनी वायरल वीडियो को लेकर राजगीर डीएसपी की थोथी दलीलों पर ग्रामीणों का साफ कहना है कि पुलिस को लिखित शिकायत देने को भी तैयार हैं, लेकिन उन्हें पुलिस को भरोसा नहीं है। क्योंकि वह ऐसे असमाजिक दबंगों से मिली हुई है…………….”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा जिले के राजगीर पुलिस अनुमंडल प्रक्षेत्र के सिलाव थानान्तर्गत नानंद गांव में आयोजित के कार्यक्रम में प्रतिबंधित शराब का जाम छलकाया गया। बार-बालाओं का अश्लील ठुमके पर फायरिंग की गई। वह भी एक जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार द्वारा। उसके साथ सरकारी पुलिस अंगरक्षक भी था।
सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि राजगीर पुलिस अनुमंडल पदाधिकारी सोमनाथ प्रसाद उस असामाजिक अपराध की वायरल वीडियो पर पड़ताल करने के लिए लिखित शिकायत का इंतजार कर रहे हैं। शायद बिना लिखित उनकी कोई जिम्मेवारी नहीं बनती।
हालांकि इस तरह के असमाजिक व गैरकानूनी मामला सामने आते ही नालंदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रहे श्री कौशलेन्द्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया ने इसकी शिकायत बिहार के डीजीपी करते हुए त्वरित जांत-कार्रवाई की मांग की है।
बताया जाता है कि सिलाव थाना के नानद गांव में 23 अगस्त को मंटु रावत द्वारा बिना थाना के अनुमति के बार बालाओं का नाच कराया गया और इसमें इलाके के सज़ावार अपराधी अनिल कुमार उर्फ अली शराब के नशे में धुत होकर नाजायज पिस्टल से फायरिंग करता रहा।
अनिल का का भाई मनोज कुमार शस्त्र तस्करी में हाल ही में गिरफ्तार हुआ है। जिससे काफी मात्रा में नगदी एवं नाजायज असलहा बरामद हुए थे।
सजावार अपराधी अनिल कुमार नानंद पंचायत के मुखिया मीणा देवी का देवर बताया जाता है। अनिल हमेशा अपने भाभी मुखिया मीना देवी का सरकारी अंगरक्षक साथ लेकर चलता है और बार बालाओं के डांस और फायरिंग के समय भी वह पुलिस अंगरक्षक मौज-मस्ती करते साफ नजर आ रहा है।
अवैध हथियार से फायरिंग और जाम छलकाने का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें अनिल साफ तौर पर बार-बालाओं के ठुमके पर पिस्तौल से फायरिंग कर रहा है और एक अन्य सख्श हाथ में डिस्पोजल ग्लास लिए झूम रहा है।
ग्लास में शराब होने की बात सामने आई है। कुछ अन्य लोग भी नशे में नर्तकियों के ठुमके पर झूमते दिख रहे हैं।
एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक राजगीर डीएसपी सोमनाथ प्रसाद का कहना है कि वीडियो के संबंध में किसी ने शिकायत नहीं की है। लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी।
ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि ऐसे सामाजिक हरकतों की पुलिस से लिखित शिकायत कौन सामने आएगा। डीएसपी सरीखे पुलिस अफसर का वयान काफी गैरजिम्मेदाराना ही कहा जाएगा, जो कार्रवाई पर पर्दा डालना मात्र है।
उधर कुछ ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस को लिखित शिकायत देने को भी तैयार हैं, लेकिन उन्हें पुलिस को भरोसा नहीं है। क्योंकि वह ऐसे असमाजिक दबंगों से मिली हुई है।
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