“ACS सिद्धार्थ की यह पहल शिक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास है, लेकिन इस सूची से नालंदा जैसे महत्वपूर्ण जिले की अनुपस्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि क्या वहां के शिक्षक इस दौड़ में पिछड़ रहे हैं या फिर चयन प्रक्रिया में कहीं चूक हुई है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 12 उत्कृष्ट शिक्षकों को नवंबर महीने के ‘टीचर ऑफ मंथ’ का खिताब प्रदान किया है। इन शिक्षकों को विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ के हस्ताक्षर से प्रशस्ति पत्र जारी किया गया। यह सम्मान उन शिक्षकों को दिया गया है। जिन्होंने नवंबर महीने में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। हालांकि इस सूची में नालंदा जिले का एक भी शिक्षक शामिल नहीं किया गया है। जो चर्चा का विषय बन गया है।
ACS ने जिन 12 शिक्षकों को यह प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। वे राज्य के विभिन्न जिलों से आते हैं और शिक्षा में उत्कृष्टता के प्रतीक बने हैं। इनमें गोपालगंज जिले के सुधांशु कुमार से लेकर समस्तीपुर जिले के रामानुराग झा तक सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में नई शैक्षिक पहल और छात्रों के लिए बेहतर शिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित की है।
वहीं, बिहार के ऐतिहासिक और शिक्षा की भूमि माने जाने वाले नालंदा जिले का एक भी शिक्षक इस सूची में शामिल नहीं है। नालंदा, जहां से शिक्षा का एक समृद्ध इतिहास जुड़ा है। यहां के शिक्षकों की अनुपस्थिति पर कई शिक्षा प्रेमी और शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। शिक्षा विभाग के अनुसार यह चयन पूर्णतः पारदर्शी और प्रदर्शन आधारित है।
बता दें कि शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि हर महीने प्रखंड स्तर पर बेहतरीन शिक्षकों का चयन कर उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल शिक्षकों को प्रोत्साहित करना है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों की पढ़ाई में नवाचार को बढ़ावा देना भी है।
शिक्षा विभाग ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में अन्य जिलों के योग्य शिक्षकों को भी यह सम्मान मिलेगा। अब देखना यह है कि नालंदा के शिक्षक अगली सूची में अपनी जगह बना पाते हैं या नहीं?
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