“राजगीर बाजार की सड़कों की दुर्दशा न केवल स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों के लिए समस्या बन चुकी है, बल्कि यह पर्यटन शहर की प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचा रही है। प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए…
राजगीर (नालंदा दर्पण)। एक ओर सरकार गांव और शहरों में बेहतरीन सड़क निर्माण के दावे कर रही है तो दूसरी ओर पर्यटकों की पसंदीदा राजगीर नगर की निचली बाजार की मुख्य सड़कें उन दावों की पोल खोल रही हैं। संगत कुआं से आइसक्रीम फैक्ट्री, नगर परिषद के पुराने कार्यालय होते हुए मोती शैलेश तक जाने वाली सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
स्थानीय दुकानदारों और नागरिकों के अनुसार इस सड़क का कालीकरण करीब 30 साल पहले हुआ था, जब राजगीर अधिसूचित क्षेत्र समिति के अधीन था। लेकिन उसके बाद से मरम्मत के नाम पर यहां कुछ नहीं हुआ। नगर पंचायत से नगर परिषद बनने के बावजूद इस सड़क की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। नल-जल योजना के तहत पाइप बिछाने के बाद सड़क की हालत और खराब हो गई है।
सड़क की पूरी पिच उखड़ चुकी है और यह बड़े-बड़े गड्ढों में बदल गई है। हालात ऐसे हैं कि यहां पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है। वाहन चालकों और राहगीरों को रोजाना दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि खराब सड़कों की वजह से ग्राहक इस इलाके में आने से बचते हैं। जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पथ निर्माण विभाग और नगर परिषद की लापरवाही के अलावा क्षेत्रीय विधायक और सांसद भी इस समस्या को लेकर उदासीन बने हुए हैं। वरीय वार्ड पार्षद डॉ. अनिल कुमार, डॉ. देवनंदन चौधरी, सुरेश प्रसाद स्वर्णकार और गोलू यादव जैसे जनप्रतिनिधियों ने कई बार इस सड़क की मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए आवाज उठाई। लेकिन प्रशासन और संबंधित विभागों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
राजगीर जैसे पर्यटन शहर में सड़कों की यह हालत सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है। नौलाखा मंदिर जाने वाली सड़क भी इसी तरह जर्जर है। पर्यटक इन सड़कों पर आने से कतराने लगे हैं। जिससे शहर की छवि और पर्यटन उद्योग दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है।
गड्ढों में तब्दील सड़कें न केवल वाहन चालकों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं, बल्कि मरीजों को अस्पताल ले जाना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। स्थानीय लोगों ने कई बार शासन और प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचा। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
- BPSC TRE-3: 16,970 शिक्षकों की बहाली के लिए 15,250 अभ्यर्थी ही हुए सफल !
- किसान बन्धु ध्यान दें, डकहा-लंगड़ी रोग से बचाव के लिए मुफ्त टीकाकरण शुरू
- पावापुरी पद्म सरोवर: प्रवासी पक्षियों और अध्यात्म का बना अद्भुत संगम
- बिहारशरीफः वायु प्रदूषण नियंत्रण ने बना रहा रिकार्ड, नगर निगम नाकाम
- राजगीर महोत्सवः बिहार की संस्कृति और महिला सशक्तीकरण का दिखेगा अद्भुत संगम
पूरे राजगीर का यही हाल है इसका कारण है नल जल प्रयोजना , कहीं टूटी सड़क तो कहीं बहता हुआ पानी , पुरे राजगीर और सभी वार्ड का भी यही हाल है