तकनीकनालंदाफीचर्डबिग ब्रेकिंगमीडियाराजगीरशिक्षा

नव नालंदा महाविहार में पत्रकारिता की भूमिका पर हुआ गहन मंथन

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्वाधीनता आंदोलन और हिन्दी पत्रकारिता’ विषयक दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ सोमवार को दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुन्द पाण्डेय ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता का इतिहास स्वतंत्रता आंदोलन के साथ गहराई से जुड़ा हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राचीन काल में जनता और राजा के पत्राचार की परंपरा ने पत्रकारिता की नींव रखी, और आधुनिक युग में पत्रिकाएं समाज की आत्मा को जागृत करने का कार्य करती रही हैं।

स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता का योगदानः महाविहार के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. हरे कृष्णा तिवारी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्रों और उनके संपादकों के योगदान पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि कैसे भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे साहित्यकारों ने पत्रकारिता को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जन जागरण के मुख्य साधन के रूप में अपनाया। महात्मा गांधी ने भी पत्रकारिता को जनसाधारण तक अपनी बात पहुंचाने का माध्यम माना और ‘हरिजन’ जैसे अखबारों के माध्यम से सामान्य भाषा में संवाद किया।

समर्पण और जुझारूपन की पत्रकारिता का दौरः विशिष्ट अतिथि और पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. हितेन्द्र कुमार मिश्र ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के समय की पत्रकारिता राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पित थी। उस समय पत्रकारिता की एक आवाज पर लाखों लोग आंदोलन में कूद पड़ते थे।

उन्होंने वर्तमान और स्वतंत्रता युग की पत्रकारिता की दिशा एवं दशा पर भी चर्चा करते हुए कहा कि बंगाल विभाजन के बाद ‘सरस्वती’ जैसी पत्रिकाओं ने भाषा की स्वतंत्रता और राष्ट्र के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया।

सत्रों में स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न युगों पर चर्चाः संगोष्ठी के प्रथम दिन तीन अकादमिक सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में ‘स्वाधीनता आंदोलन एवं भारतेंदु युगीन पत्रकारिता’, ‘स्वाधीनता आंदोलन एवं द्विवेदी युगीन पत्रकारिता’ तथा ‘स्वाधीनता आंदोलन और हिंदी पट्टी की पत्रकारिता’ विषय पर विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

प्रो. विनोद कुमार मिश्र, प्रो. विश्वजीत कुमार सहित अन्य विद्वानों ने अपने विचार रखे और ऐतिहासिक घटनाओं के माध्यम से पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और उसकी राष्ट्रनिर्माण में भूमिका को रेखांकित किया।

विशेष अतिथि और कुलसचिव का योगदानः कार्यक्रम का संचालन प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. मीता ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ भिक्षु धम्म ज्योति व भिक्षु संघ द्वारा बुद्ध वंदना और डॉ. नरेंद्र तिवारी द्वारा वैदिक मंगलाचरण से हुआ, जिसने संगोष्ठी को एक आध्यात्मिक और प्रेरणादायी आधार प्रदान किया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी का महत्वः इस संगोष्ठी के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारिता की भूमिका और उसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा हुई। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अनुराग शर्मा ने बताया कि इस प्रकार के विमर्श से नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम की पत्रकारिता की महत्ता का बोध होगा और वे इसके ऐतिहासिक संदर्भों से प्रेरणा प्राप्त करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
Bihar Sharif covered with red flags regarding Deepnagar garbage dumping yard in nalanda ई BPSC टीचर बच्चों के बीच क्या मिमिया रहा है KK पाठक साहब? ई BPSC टीचर की गुंडई देख लीजिए KK पाठक साहब ! जानें भागवान महावीर के अनमोल विचार