बेंच-डेस्क घोटाले में DEO पर बड़ी कार्रवाई, 5 करोड़ की अनियमितता का खुलासा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। जिला शिक्षा विभाग में हुए बहुचर्चित बेंच-डेस्क घोटाले मामले में पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) राज कुमार के खिलाफ प्रपत्र ‘क’ के तहत विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। जांच में पांच करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितता सामने आई है, जिसने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
नालंदा जिला निगरानी समिति ने उप विकास आयुक्त (डीडीसी) श्रीकांत कुण्डलिक खांडेकर की अध्यक्षता में इस मामले की गहन जांच की। जांच में पाया गया कि तत्कालीन डीईओ राज कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ट्रांसलाइट ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी को अनुचित लाभ पहुँचाया। विभागीय दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर चयनित सूचीबद्ध एजेंसी को दरकिनार करते हुए इस कंपनी को अवैध रूप से कार्यादेश दे दिया गया।
जांच समिति ने पाया कि डीईओ ने 10 अप्रैल 2024 को सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को निर्देश दिया था कि गुणवत्ता युक्त सामग्री न देने वाली एजेंसियों के कार्यादेश रद्द किए जाएँ। इसके बावजूद ट्रांसलाइट ओवरसीज को न केवल कार्यादेश दिया गया, बल्कि 48 घंटों के भीतर बेंच-डेस्क की आपूर्ति का निर्देश भी जारी किया गया। सूत्रों के अनुसार कई स्कूलों में बिना आपूर्ति के ही इस एजेंसी को भुगतान कर दिया गया।
अस्थावां विधायक डॉ. जितेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया था कि डीईओ ने अपने प्रभाव का उपयोग कर ट्रांसलाइट ओवरसीज को लाभ पहुँचाया। इस शिकायत के बाद जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने निगरानी समिति का गठन किया। डीईओ से स्पष्टीकरण माँगा गया, जिसमें उन्होंने सारा दोष जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) लेखा योजना पर डालने की कोशिश की। हालांकि समिति ने उनके जवाब को असंतोषजनक माना और सरकारी सेवक आचरण नियमावली के उल्लंघन का दोषी ठहराया।
इस घोटाले का असर जिले के कई स्कूलों पर पड़ा है। कई प्रधानाध्यापकों ने शिकायत की कि वेंडर ने बिना आपूर्ति के ही जबरन बिलों पर हस्ताक्षर करवाए। इस कारण कई स्कूलों में बच्चों को बेंच-डेस्क की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
डीडीसी द्वारा जारी आरोप पत्र के आधार पर डीएम ने शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन को पत्र भेजकर तत्कालीन डीईओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है। वर्तमान में राज कुमार ग्रामीण विकास विभाग पटना में कार्यरत हैं। इस कार्रवाई ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है और सूत्रों का कहना है कि इस मामले में और भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
स्थानीय निवासियों और शिक्षकों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों पर कार्रवाई कब होगी। एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह केवल शुरुआत है। शिक्षा विभाग में ऐसी अनियमितताएँ लंबे समय से चल रही हैं। पूरी पारदर्शिता के लिए और लोगों को जवाबदेह ठहराना होगा।









